जिले में फाइलेरिया रोग की पहचान को पुनः होगा नाइट ब्लड सर्वे
जिले में फाइलेरिया रोग की पहचान को पुनः होगा नाइट ब्लड सर्वे
P9bihar news
चम्पारण केसरी
मोतिहारी। जिले में फाइलेरिया के प्रभाव को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम गंभीरता पूर्वक सक्रिय है। जिले में पूर्व में 5 प्रखंडों में नाइट ब्लड सर्वें चलाया गया था। जिसमें एक प्रखंड के दो हाई रिस्क साइट एवं एक रैंडम साइट से कुल 900 व 5 प्रखंड से 4500 लोगों के रक्त की रात्रि में जाँच की गई।
वहीं विभागीय निर्देश के अनुसार अब बाकी बचे हुए 23 प्रखंडों में लोगों की रात्रि में रक्त जाँच कर छुपे हुए फाइलेरिया परजीवी की खोज की जाएगी। जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरतचंद्र शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम आशा, व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से लोगों को जागरूक करते हुए नाइट ब्लड सर्वे करेगी।
दिसम्बर का अंतिम सप्ताह ब्लड सर्वे की संभावित तिथि है। इसको लेकर जोर शोर से अधिकारी भी लग गए हैं। राज्य व जिलास्तर पर लैब टेक्निशियनों का प्रशिक्षण भी करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के बाद 10 फ़रवरी से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।
पिरामल के जिला प्रतिनिधि मुकेश कुमार ने बताया की आशा व स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा लगातार जनसम्पर्क अभियान चलाकर जिले के अरेराज, पहाड़पुर, तेतरिया, मधुबन चकिया सुगौली सहित कई प्रखंडों में जनप्रतिनिधि से मुलाकात की जा रही व अभियान के बारे में जानकारी दी जा रही है।
इस अभियान में सहयोग के लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। ताकि नाइट ब्लड सर्वे के साथ ही सर्वजन दवा सेवन अभियान का सफलतापूर्वक संचालन हो सके। वीडीसीओ सत्यनारायण उरांव एवं धर्मेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि नाइट ब्लड सर्वे के बाद पॉजिटिव मरीजों को दवा का पूरा कोर्स कराकर सुरक्षित किया जा रहा है।
ताकि उनके शरीर में मौजूद फाइलेरिया परजीवी पूरी तरह से समाप्त हो सके। उन्होंने बताया कि मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है। जिसके लक्षण शुरू में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण आने में कभी कभी सालों लग जाते हैं।
प्रायः फाइलेरिया मरीजों में बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और अंडकोषों की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है।
इससे बचाव के लिए विभाग द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें डी ई सी एवं अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाती है। दवा खिलाने के पूर्व भी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।