श्रोताओं के सिर चढ़कर बोलता था लता मंगेशकर की आवाज़ का जादू
--संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है लता जी का निधन
अंजनी अवशेष
मोतिहारी,पू०च०।
स्वर साम्राज्ञी अद्वितीय पार्श्वगायिका व भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर रविवार को श्रमिक कला उत्थान समिति के चांदमारी स्थित कार्यालय में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। अध्यक्षता संस्कृतिकर्मी रवीश कुमार मिश्र ने की। मौके पर श्री मिश्र ने कहा कि लता जी ने छह दशकों से भी ज्यादा समय तक संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा। उनके निधन से देश ने एक अमूल्य रत्न को खो दिया है। सुकंठ गायक अंजनी अशेष ने उनके गाए एक गीत ' रहें ना रहें हम महका करेंगे बन के कली बन के सबा बागे वफा में...' को गाकर अपनी श्रद्धांजलि दी।बताया कि लता जी ने तकरीबन 36 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने गाए हैं। लता मंगेशकर की आवाज का जादू श्रोताओं के सिर चढ़कर बोलता था। उन्होंने मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित तक तमाम हीरोइनों को अपनी आवाज दी। अरुण तिवारी ने कहा कि लता मंगेशकर के निधन से पार्श्व गायन के क्षेत्र में जो रिक्तता आई है, उसकी भरपाई नामुमकिन है।उन्होंने हर मूड के गीत गाए। सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि लता जी के निधन से संगीत का एक सितारा सदा के लिए अस्त हो गया है। देशवासियों के लिए उनके योगदान को भुला पाना असंभव है। अंत में दो मिनट का मौन धारण कर उनकी आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की गई। शोक व्यक्त करनेवालों में गायक दिवाकर नारायण पाठक, संजय उपाध्याय, बिंटी शर्मा, अभय अनंत, रंजन सहाय, प्रदीप वर्मा, अनिल कुमार, प्रीतम कुमार, प्रमोद दुबे, अनुराग मिश्र, कुंदन वत्स, वंदना सिन्हा, दिलबहार सिंह, मनीष टिकेडिया, खुशबू त्रिवेदी, संतोष त्रिवेदी, दीनानाथ, कृष्णा प्रसाद, गंगा सिंह, दीपक कुमार आदि थे।