पितृपक्ष  पक्षियों में पितरों का वास स्थल कौआ अहम

पितृपक्ष  पक्षियों में पितरों का वास स्थल कौआ अहम

पितृपक्ष  पक्षियों में पितरों का वास स्थल कौआ अहम

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

वैसे तो धरती पर कई प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां हैं लेकिन मुख्यत: पक्षियों में तीन पक्षियों का अध्यात्मिक महत्व अलग-अलग दर्शाया गया है।
मैंने इसके पहले प्रसारित अंश में ही उल्लेख किया है कि मानव द्वारा शुरू से ही सर्वप्रथम पेड़ों में अपने पूर्वजों का वास स्थल देखता आया है। उसके बाद दूसरे स्थान पर पक्षियों में अपने पूर्वजों का वास स्थल देखता है।


. आज हम तीन पक्षियों की चर्चा करेंगे जिसमें मानव अपने पूर्वजों का वास स्थल देखता आ रहा है।उन पक्षियों में कौआ का स्थान पहला माना जाता है। कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात् अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है। इस तरह से कोए को पितृपक्ष में विशेष महत्व दर्शाया जाता रहा है।


 दूसरे स्थान पर हंस पक्षि का महत्व दर्शाया जाता रहा है। पक्षियों में हंस एक ऐसा पक्षी है जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। यह हम उन आत्माओं का ठिकाना मानते आए हैं जिन्होंने अपने ‍जीवन में पुण्यकर्म किए हैं और जिन्होंने यम-नियम का पालन किया है। कुछ काल तक हंस योनि में रहकर आत्मा अच्छे समय का इंतजार कर पुन: मनुष्य योनि में लौट आती है या फिर वह देवलोक चली जाती है। हो सकता है कि आपके पितरों ने भी पुण्य कर्म किए हों। इस तरह से हंस को इस पक्ष में विशेष महत्व दर्शाया जाता रहा है।
पक्षियों में तीसरे स्थान पर गरुड़ पक्षि का माना जाता रहा है। भगवान गरुड़ विष्णु के वाहन हैं।

भगवान गरुड़ के नाम पर ही गुरुढ़ पुराण है जिसमें श्राद्ध कर्म, स्वर्ग नरक, पितृलोक आदि का उल्लेख मिलता है। पक्षियों में गरुढ़ को बहुत ही पवित्र माना जाता रहा है। भगवान राम को मेघनाथ के नागपाश से मुक्ति दिलाने वाले गरूड़ का आश्रय पितर लेते आये हैं।इसके अलावा अध्यात्मिक चर्चा में क्रोंच या सारस का नाम भी लिया जाता रहा है।


पितृपक्ष में इन पक्षियों को मानव विशेष महत्व देता आ रहा है।इनका पूजा अर्चना करने का मान्यता दिया जाता रहा है।इसके अगले कड़ी में हम जलचर प्राणियों की चर्चा करेंगे।