हनुमत जयंती आयोजन के मजबूत स्तंभ रणंजय बाबू का मंच पर ही हृदयाघात से निधन

हनुमत जयंती आयोजन के मजबूत स्तंभ रणंजय बाबू का मंच पर ही हृदयाघात से निधन

हनुमत जयंती आयोजन के मजबूत स्तंभ रणंजय बाबू का मंच पर ही हृदयाघात से निधन

P9bihar news 

 सत्येेन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- हनुमत जयन्ती समारोह के स्वर्गीय गोविन्द पोद्दार के बाद सबसे मजबूत एवं दीर्घ काल तक महासचिव रहे जिन्होंने  हनुमत जयंती एवं  मारुति मानस मंदिर को इस ऊंचाई तक पहुंचाये  हमारे गुरुभाई जिले के जलालपुर प्रखण्ड के कोठेयां ग्रामवासी हमारे अत्यंत पूजनीय प्रोफेसर रणंजय सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे।


उक्त बातें राजेश्वर कुंवर के शब्दों में जिस मंच को संरक्षित करते हुए जिनका एक-एक क्षण एक-एक सांस बीतता था आज उसी मंच पर उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी की चौपाई " बिछुडत एक प्राण हर लेहीं  "  कहते हुए मंच पर हीं  माईक लिए लुढ़क गए।जगद्गुरु रत्नेशजी महाराज की विश्राम कथा के अंत में पूज्य रणंजय बाबू विदाई संबोधन करने के लिए खड़ा हुए और उक्त चौपाई को बोलते हुए सदा के लिए वीदा हो गए।यद्यपि लौकिक रुप से मृत्यु हमेशा दुखदायी होती है ।और रणंजय बाबू की मृत्यु भी समारोह समिति सारण वासियों एवं स्वयं मेरे लिए अत्यंत दुखदायी है ।

किंतु कार्तिक महीना धनतेरस का दिन मारुति मानस मंदिर का सानिध्य हनुमत जयंती का अति पूजनीय मंच तथा कंठ पर तुलसीदास जी महाराज की पवित्रतम चौपाई और जिसके जीवन की एक-एक सांस जयंती समारोह के लिए समर्पित हो उनका हमारे बीच से ऐसे जाना अत्यंत महत्वपूर्ण दुखदायी है। ऐसी विदाई तो बड़े-बड़े योगी यति साधक तपस्वियों को भी दुर्लभ है। भगवान विष्णु के अलौकिक विमान से रणंजय बाबू सीधे गो लोक धाम प्रस्थान कर गए।


श्री कुंवर कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूँ कि वे हमेशा मुझे सम्मान देते थे और इस बार तो हद हो गई जब उन्होंने मुझे अपने हाथ से माला पहना दी। जब मैंने पहनने से इनकार किया तो पूज्य रणंजय बाबू ने कहा कि " पहन ल इ साधु के आशीर्वाद ह ई माला जगद्गुरु राजनारायणाचार्यजी से मिलल बा "  मैंने उनका चरणस्पर्श किया और वही माला उन्होंने मेरे गले में डाल दिया।रणंजय बाबू गृहस्थ जीवन में साधु ही थे।

मैं उनके श्री चरणों में शत शत नमन करता हूँ।अब जयंती समारोह समिति की जिम्मेवारी अधिक बढ़ गई है कि समिति अब ऐसे ही समर्पित किसी रणंजय बाबू की तलाश करे और जयंती समारोह की मर्यादा को और आगे बढाए।
उनके असामयिक मंच पर निधन की खबर सुन हनुमान जंयती से जुड़े लाखों भक्तों ने अपना श्रद्धा सुमन अर्पित कर दुख प्रकट करने लगे।