सेमिनार का हुआ आयोजन 

सेमिनार का हुआ आयोजन 

सेमिनार का हुआ आयोजन 

P9bihar news 

शशांक मणि त्रिपाठी
मोतिहारी,पू०च०।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शोध आयाम (स्टूडेंट फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ  ह्यूमेनिटी) और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार के शोध व विकास प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वधान में चाणक्य परिसर स्थित राजकुमार शुक्ल सभागार में "रिसर्च: रूल्स एंड रेगुलेशनस" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ आनंद प्रकाश ने कहा कि आप शोधार्थियों में चिंतन की शक्ति आनी चाहिए,

आप अपने को संतुष्ट करने के लिए शोध करते हैं, वह अंतिम समय तक आपके द्वारा होता रहता है। हम भारतीय समाज समस्या के लिए नहीं निराकरण के लिए जाने जाते हैं अतः शोध की गुणवत्ता ही शोधार्थियों की पहचान है, इस पर हमें कार्य करना चाहिए।विषय प्रवर्तन करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि शोध किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन हमारे देश में शोध को लेकर स्थिति दयनीय है।

भारत में प्रति एक लाख छात्रों में से एक सौ ग्यारह ही शोध के प्रति अग्रसर होते हैं, इसलिए अंतर विषयक शोध अनिवार्य है।भाषा एवं मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने शोध की दशा व दिशा विषय पर प्रकाश डाला।शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के अधिष्ठाता प्रो.संतोष त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में बताया कि शोध से संबंधित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की नियमावली बिल्कुल स्पष्ट है यह अध्यादेश-35 के द्वारा यूजीसी-2016 के नियम व विनियम को पूर्णत स्वीकार करता है।अन्य वक्ताओं में शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आशीष श्रीवास्तव लाइफ साइंस के अधिष्ठाता प्रो. आर्तत्राण पाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस कार्यक्रम के संयोजक व संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ विश्वेश वागमी ने कहा कि आज के इस सेमिनार से सभी शोधार्थियों को अवश्य लाभ होगा। सभी शोधार्थियों को एक मंच पर आकर शोध से संबंधित नियम व विनियम को जान सकेंगे।

वहीं सेमिनार का सफल संचालन कार्यक्रम के सह संयोजक हिंदी विभाग के शोधार्थी मनीष कुमार भारती ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह संयोजक व अंग्रेजी विभाग के शोधार्थी कृष्ण कुमार ने किया।उक्त जानकारी प्रोफेसर विश्वेश वाग्मी ने दिया।