शास्त्र सम्मत है 19 मार्च शनिवार को होली का त्योहार  

शास्त्र सम्मत है 19 मार्च शनिवार को होली का त्योहार  

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी,पू०च०।
शुक्रवार को स्थानीय महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में होली के त्योहार को लेकर समाज में मतभेद की स्थिति को दूर करने के लिए वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में कर्मकाण्ड से जुड़े स्थानीय विद्वानों की विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी में उपस्थित विद्वानों ने निर्णयसिन्धु आदि ग्रन्थों के आधार पर कहा कि होली का पर्व दो भागों में विभक्त है- फाल्गुन शुक्लपक्ष पूर्णिमा को सायंकाल के बाद भद्रा रहित शुभ मुहूर्त्त में होलिका पूजन व होलिका दहन तथा चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को रंग-गुलाल आदि से होलिकोत्सव मनाने का विधान है।17 मार्च बृहस्पतिवार को पूर्णिमा तिथि दिन में 01 बजकर 01 मिनट के बाद हो रही है एवं भद्रा रात्रि में 12 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो रही है।

होलिकादहन के तीन धर्मशास्त्रीय नियम हैं- फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि हो,रात्रि का समय हो तथा भद्रा बीत चुकी हो। अतः होलिकादहन की शास्त्रीय मान्यताओं का अनुपालन करते हुए 17 मार्च बृहस्पतिवार को रात्रि 12 बजकर 57 मिनट के बाद होलिकादहन का मुहूर्त्त बन रहा है।

चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (एकम) तिथि 18 मार्च,शुक्रवार को दिन में 12:53 बजे के बाद हो रही है जो अगले दिन 19 मार्च,शनिवार को दिन में 12:13 बजे तक रहेगी। चूंकि शास्त्रीय मान्यतानुसार होलिकोत्सव के लिए उदया प्रतिपदा तिथि मान्य है।

अतः 19 मार्च शनिवार को रंगोत्सव (रंग-गुलाल की होली) मनाना शास्त्र सम्मत है।मौके पर पं• श्यामाकान्त मिश्र,विनोद पाण्डेय,सुधीर दत्त पाराशर,रुपेश ओझा,राकेश तिवारी,राजन पाण्डेय,विकास पाण्डेय,कुन्दन पाठक,सुधाकर पाण्डेय,सुनिल दत्त पाराशर,दयानंद मिश्र,दीनानाथ पाठक,मदन मोहन नाथ शास्त्री,अभिषेक दूबे,पारसनाथ पाण्डेय,राजकुमार मिश्र,राजन चौबे,अरुण तिवारी,रोहन पाण्डेय,पवन दूबे,शैलेन्द्र तिवारी आदि मौजूद थे।