स्थानांतरण की राह में रोड़ा कनिय का विद्यालय का वरीय व प्रधानाचार्य बनना

स्थानांतरण की राह में रोड़ा कनिय का विद्यालय का वरीय व प्रधानाचार्य बनना

स्थानांतरण की राह में रोड़ा कनिय का विद्यालय का वरीय व प्रधानाचार्य बनना

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा,

कनिय शिक्षक को वरीय शिक्षक को प्रभार सौपें अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की आदेश जिले के मढ़़ौरा प्रखंड में सामने आई है।स्थानांतरण का बाट जोह रहे शिक्षकों के राह में यह रोड़ा तो नहीं है।जिले में 15 विद्यालयों में कनीय शिक्षक प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रहे हैं उनका वेतन रोकने एवं वरीय को प्रभार देने का निर्देश दिया गया है।15 स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापक का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी युगल किशोर ने बताया है कि शिक्षा विभाग के निर्देश के मुताबिक स्कूलों के प्रभारी केवल वरीय शिक्षक ही हो सकते हैं।


 जांच में मढ़ौरा के करीब 15 ऐसे स्कूल पाए गए हैं जहां वरीय शिक्षकों के बजाय कनीय शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक बन बैठे हैं । इस बाबत संबंधित स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापक को पत्र लिख दिया गया है और 24 घंटे के अंदर वरीय शिक्षकों को स्कूल का संपूर्ण प्रभार सौंपने का निर्देश दिया गया है। निर्धारित समय अवधि के अंदर अगर कनीय शिक्षक उस स्कूल के वरीय शिक्षक को प्रभार नहीं सौंपते हैं तो ऐसे में उन शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी जाएगी। 


वैसे विद्यालय में पकहा रेलवे पार मिडिल स्कूल, रूप रहीमपुर, दयालपुर, पोझी कन्या , ननजोड़ा टोला, औदालपट्टी, आटा पूरब टोला, मुबारकपुर, जोधौली, सेंदुआरी, मुस्लिम यादव टोला रामपुर, सिसवा रसूलपुर, भेड़िया और माधोपुर मिडिल स्कूल का नाम शामिल है।उधर नियोजित शिक्षकों का स्थानांतरण ठंडा बस्ता में है जिसकी चर्चा एवं असंतोष आमतौर पर शिक्षकों में देखने को मिलता है।


 जिले में नियोजित शिक्षकों का स्थानांतरण एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इससे संबंधित पदाधिकारियों की निष्क्रियता अब आम चर्चा का विषय बनता जा रहा है।पदाधिकारी अपनी सक्रिय भूमिका अदा नहीं कर पा रहे है की चर्चा में आमतौर पर बड़े पैमाने पर नियोजन के समय नियोजन इकाई द्वारा धांधली करने का द्योतक कहा जाता है।और उस धांधली की तत्कालीन प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान किया जाना साथ ही अब तक ठोस जांच एवं कारवाई नहीं किया जाना भी रहा है।

नियोजन के बाद नियोजित शिक्षक द्वारा परीक्षा दे कर अहर्ता पूरा करने का मामला हाल ही में प्रकाश में आया है।जिसके कारण कई बार प्रक्रिया में जाने के बावजूद शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो पा रहा है।प्रशासन की इसकी गैर जिम्मेदारी सामने कौन लेगा यह एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है।ऐसे में कनिय को वरीय का प्रभार भी अहम है। नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूर्व में भी शुरू की गई थी लेकिन जिला अध्यक्षा जिला परिषद  एवं डीडीसी के बीच आपसी सामंजस्य  न होने के कारण  जिले में स्थानांतरण नहीं हो सका है।

गौरतलब यह है कि सारण प्रमंडल के सिवान एवं गोपालगंज जिले में स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्व में की जा चुकी है। सारण जिले में जिस प्रकार नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण में  अनियमितता एवं अराजकता की स्थिति पैदा की जा रही है उसको किस प्रकार से दूर किया जा सकता है यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है।इस पर गंभीर चिंतन एवं सुचारू प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षकों की प्रमुख समस्या के निष्पादन का हल निकाला जा सके। क्या सारण जिले में  नियोजित शिक्षकों का स्थानांतरण आवेदन की प्रक्रिया तक ही सीमित रह जाएगा यह स्थानांतरण हो भी पाएगा यह एक गंभीर समस्या बनी हुई है।

इसके लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं उसे कहीं ना कहीं प्रभावित कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है। आखिर अंततः इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। शिक्षकों का स्थानांतरण क्या शिक्षक हित से जुड़ा हुआ मुद्दा नहीं है इस पर हम सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है अन्यथा एक बड़ा वर्ग वर्तमान समय में संगठन की गतिविधियों से नाखुश चल रहा है उसे मनाने के लिए उसका भरोसा जीतने के लिए यह कार्य करना आवश्यक है क्योंकि जिले में 8 से 9 साल हो चुके हैं परंतु शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो सका है। जबकि प्रत्येक पंचायत में 1 प्लस टू विद्यालय संचालित हो चुके हैं।

जिसमें शिक्षकों का घोर अभाव है। स्थिति ऐसी है कि शिक्षक दूरदराज विद्यालयों में पढ़ाने जा रहे हैं परंतु उनके बगल का विद्यालय शिक्षकों की कमी के कारण वहां पठन-पाठन सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रहा है ।इसको संतुलित करने की जिम्मेवारी भी वर्तमान समय में स्थानांतरण से संबंधित पदाधिकारियों को लेना चाहिए।विभागीय अनियमतताओं के कारण ही स्थानांतरण का फाईल ठंडे बस्ते में होना लाजिमी हो सकता है कहने से इंकार नहीं किया जा सकता है।