रक्सौल स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा चलाया जा रहा है जन जागरूकता अभियान

रक्सौल स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा चलाया जा रहा है जन जागरूकता अभियान

रक्सौल स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा चलाया जा रहा है जन जागरूकता अभियान

प्रकाश कुमार

रक्सौल,पू०च०।
प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौसम में अप्रैल से जुलाई तक उत्तरी बिहार में एक घातक बीमारी का प्रकोप बढ़ता है जिसे दिमागी बुखार या चमकी बुखार कहते हैं।यह बीमारी एक वर्ष से पन्द्रह वर्ष के बच्चों में ख़ास तौर पर होती है।बिहार सरकार के दिशा निर्देश पर चिकित्सकों की टीम के द्वारा प्रखंड अंतर्गत सभी स्कूलों, आँगन बाड़ी केंद्रों एवं गाँव-गाँव जाकर लोगों को इस बीमारी के विषय में जागरूकता अभियान चलाई जाती है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. मुराद आलम एवं उनके टीम में शामिल फार्मासिस्ट अली इरफ़ान के द्वारा जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इसी कड़ी में शुक्रवार को प्रखण्ड के पनटोका स्थित राजकीय मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के बीच डॉ. मुराद आलम ने मस्तिष्क ज्वर से बचाव आदि की जानकारी दिया।छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि चमकी बुख़ार से बचाव के उपाय एवं उसके प्राथमिक उपचार के प्रक्रिया के साथ जल्द से जल्द नज़दीकी सरकारी अस्पताल पहुंचने से इस बीमारी के गम्भीर परिणाम से बचा जा सकता है।

आगे बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों को धूप से बचाव, मच्छरों से बचाव, हाथों की नियमित सफ़ाई,कच्चे या अधपके लीचियों से परहेज़,दिन में दो बार स्नान करना, पानी का उचित मात्रा में सेवन, ओ आर एस की घोल पीना,रात में भरपेट भोजन तथा सोने से पहले कोई मीठी चीज़ का सेवन करना चाहिए।


बताया कि इस बीमारी में ख़ून में ग्लूकोज की मात्रा भी कम हो सकती है जिसके कारण बच्चा बेहोश हो जाता है तथा चमकी के साथ मुँह से झाग निकलना, दांत पर दांत का बैठ जाना, गर्दन सहित हाँथ पैरों में ऐंठन एवं चींटी काटने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलना इसके लक्षण हैं।


ऐसे लक्षणों के दिखते ही बच्चे को ठंडे पानी का पोंछा देते हुए, किसी एक करवट लेटा कर कपड़े को ढीला कर देना चाहिए तथा प्रकाशरहित हवादार स्थान पर रख कर प्राथमिक उपचार की विधियों को अपनाते हुए तुरंत एम्बुलेंस अथवा निजी सवारी से नजदीकी सरकारी अस्पताल में पहुंचाना चाहिए।कुछ लोग झाड़ फूंक के चक्कर मे स्वर्ण समय को पार कर जाते हैं जिससे ईलाज में देरी होने के कारण गम्भीर समस्याओं जैसे बच्चे में फ़ालिज लकवा भी हो सकता है।

इस मौके पर विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष सह वार्ड सदस्य विक्रमा प्रसाद, वरीय शिक्षक मुनेश राम,सुभाष प्रसाद यादव,कुंदन कुमार,रूपा कुमारी,बबिता कुमारी,कविता कुमारी,आसमां प्रवीण,फातिमा कनिज,दीक्षा कुमारी,अपराजिता भट्टाचार्यजी सहित अन्य मौजूद थे।