निक्षय पोषण योजना मरीजों को दे रही राहत 

निक्षय पोषण योजना मरीजों को दे रही राहत 

निक्षय पोषण योजना मरीजों को दे रही राहत 

- निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को 15 लाख का भुगतान

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

शिवहर। 13 अक्टूबर

टीबी मरीजों को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत दी जाने वाली 500 रूपये की राशि मददगार साबित हो रही है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने कहा कि सरकार टीबी मरीजों को दवा के साथ-साथ पौष्टिक आहार लेने के लिए निक्षय पोषण योजना चला रही है। टीबी मरीजों को स्वस्थ होने के लिए नियमित रूप से दवा सेवन के साथ पौष्टिक आहार भी जरूरी है। गरीब तबके के टीबी मरीज आर्थिक परेशानी के कारण पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। ऐसे में निक्षय पोषण योजना शुरू होने के बाद से मरीजों को काफी राहत मिली  है।

2021-2022 में अभी तक डेढ़ लाख  रूपए की राशि निर्गत-

जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस सुधांशु शेखर रौशन ने बताया कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में टीबी रोग के उन्मूलन के लिए सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। योजनाओं को सही से क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके तहत जिले के उपचाराधीन टीबी मरीजों के पोषण की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जिला यक्ष्मा केंद्र द्वारा निक्षय पोषण योजना की राशि निर्गत की जा रही है।

वर्ष 2021-2022 में अभी तक उपचाराधीन 814 टीबी मरीजों को डेढ़ लाख रूपए की राशि निर्गत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें यह योजना मददगार साबित हो रही है। योजना के तहत मरीज जब तक दवा खा रहा होता है तब तक 500 रुपये की राशि हर महीने पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जाता है। 

टीबी उन्मूलन में सामूहिक सहभागिता जरूरी- 

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. जेड जावेद ने कहा कि टीबी रोग लाइलाज नहीं है। दवा सेवन से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है। इसे ध्यान में रख मरीजों के प्रति होने वाले सामाजिक भेदभाव को दूर करने की जरूरत है। टीबी के प्रति भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। टीबी मरीजों को सरकारी सहायताओं की जानकारी दें।

पंचायती तथा अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि टीबी से पीड़ित मरीजों की आर्थिक-सामाजिक रूप से मदद कर सकते हैं। इससे समुदाय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। जनजागरूकता लाकर वर्ष 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करना है। यह एक सामाजिक दायित्व है, जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग सहित आमजनों की सहभागिता भी जरूरी है।