पोषण माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की  गोदभराई

पोषण माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की  गोदभराई

पोषण माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की  गोदभराई

P9bihar news 

सत्येेन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- आंगनबाड़ी सेविकाओं ने पोषण के महत्व पर की चर्चा।गर्भवती महिलाओं को पोषण की पोटली दी गई।महिलाओं ने मंगल गीत गाया।कुपोषण के खिलाफ जिले में 1 से 30 सितंबर तक पोषण माह मनाया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। मातृ पोषण स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण की जानकारी के साथ गोदभराई रस्म का आयोजन किया गया।

गोदभराई दिवस मनाने का उद्देश्य महिलाओं में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। गर्भावस्था में महिलाओं को खान-पान द्वारा अपना व अपने गर्भस्थ  बच्चे का भी ध्यान रखना होता है। गर्भावस्था में प्रतिदिन हरी  साग-सब्जी, मूंग की दाल, सतरंगी फल, सूखे मेवे एवं दूध, सप्ताह में दो से तीन बार, अंडे, मांस, आदि  महिलाओं को खाना चाहिए।

इस मौके पर महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी थाली व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोद भराई की रस्म पूरी की गई। सभी महिलाओं को अच्छी  सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई।


ताकि कुपोषित बच्चे न हों पैदा:


आईसीडीएस की  डीपीओ अनुपमा सिन्हा ने बताया कि इस प्रयास के पीछे उद्देश्य यह है कि जागरूकता की कमी और अभाव में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ध्यान न देने पर महिला कमजोर हो जाती हैं। जिसके कारण पैदा होने वाला बच्चा कमजोर होता , जो कि कुपोषण का शिकार हो जाता है।  ऐसी स्थिति न पैदा हो इसके लिए गर्भवती महिला को बेहतर देखभाल की जानकरी दी गयी तथा पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गयी।


 शून्य से 6 माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान:


डीपीओ ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है।  इसलिए जब भी मां बन रहीं हो शिशु के नियमित स्तनपान के फायदों बारे में जानकारी जरूर लें। शून्य से 6 माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान और 6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार देना चाहिए। छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है। 9 से 24 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ तीन बार अर्द्ध  ठोस पौष्टिक आहार देना चाहिए। बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य पर हुई चर्चा: 


गोद भराई रस्म में पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं व अन्य महिलाओं ने भाग लिया। सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के सम्मान में उसे चुनरी ओढ़ा,  तिलक लगा और गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गोद में पोषण संबंधी पुष्टाहार फल सेव, संतरा, बेदाना, दूध,अंडा डाल सेवन करने का तरीका बताया गया। साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी। गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पुष्टाहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।