कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाये रखने के लिए मरीजों की पहचान और उपचार जरूरी:-- डॉ बिनय

कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाये रखने के लिए मरीजों की पहचान और उपचार जरूरी:-- डॉ बिनय

कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाये रखने के लिए मरीजों की पहचान और उपचार जरूरी:-- डॉ बिनय

P9bihar news 


सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण:- कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाए रखने के लिए मरीजों की पहचान और उपचार जरूरी है।उक्त बातें डॉ. विनय कुमार शर्मा ने कहा है।कालाजार उन्मूलन में योद्धा बनकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।डीएनडीआई संस्था के द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
कालाजार उन्मूलन के लिए प्रशंसा के असली हकदार फील्ड वर्कर हैं।

 सारण जिले समेत बिहार के सभी जिले के कालाजार मुक्त किया जा चुका है। कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाए रखने के लिए कालाजार के मरीजों की स-समय पहचान तथा उसका उपचार किया जाना अति आवश्यक है। उक्त बातें अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम, पदाधिकारी वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. बिनय कुमार शर्मा ने सारण जिले के बनियापुर रेफरल अस्पताल में आयोजित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि आज के समय में पूरा बिहार कालाजार से मुक्त हो गया है और इस उपलब्धि में अंतिम पंक्ति के कार्यकर्ता यानी हमारे फील्ड वर्कर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। हम सभी ने मिलकर कालाजार उन्मूलन तो कर लिया है लेकिन अब इसे बनाए रखना हम सब के लिए चुनौती है और इस चुनौती का सामना हम सभी को मिलकर करना है। कालाजार उन्मूलन को सस्टेनेबल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा गांव में बुखार के मरीजों की जांच करना, स-समय अस्पताल पहुंचाना तथा उसका कालाजार जांच कर उपचार करना आवश्यक है।

राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बिनय कुमार शर्मा ने कहा कि  एक समय था जब बनियापुर प्रखंड का कलाजार से अति प्रभावित क्षेत्र था, सारण जिले में सबसे अधिक मरीज इसी प्रखंड में मिलते थे। लेकिन आज गौरव की बात है कि इस प्रखंड को कालाजार से मुक्त किया जा चुका है और इसमें फील्ड वर्करों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। डीएनडीआई संस्था के द्वारा बनियापुर रेफरल अस्पताल में कार्यक्रम आयोजित कर कालाजार उन्मूलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाली आशा कार्यकर्ता, एएनएम, छिड़काव कर्मी, लैब टेक्नीशियन केटीएस तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित किया गया।

इस मौके पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बिनय कुमार शर्मा, डीएमओ डॉ दिलीप कुमार सिंह, रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरुण प्रसाद गुप्ता, केयर इंडिया के डॉक्टर इंद्रनाथ बनर्जी, आरएमआरआई के डॉक्टर मधुकर, डीएनडीआई संस्था के डॉ गौरव मित्रा, मनीषा कुमारी, अनुराग कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ आदित्य कुमार, सीफार के डिवीजनल कोऑर्डिनेटर गनपत आर्यन समेत अन्य मौजूद थे।

कालाजार उन्मूलन को 3 साल तक बनाए रखना है सस्टेनेबल :

 जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार को एलिमिनेट करना हम सब के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन टीम वर्क के बदौलत हम सभी ने इस मुकाम को हासिल कर लिया है। अब सारण जिला कारागार से मुक्त हो गया है। एक समय था जब बनियापुर प्रखंड में 200 से अधिक मरीज एक साल में मिलते थे अब वह तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। अब इस प्रखंड में 2022 में मात्र 14 कलाजार के मरीज मिले हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने में हमारे फिल्ड वर्करों ने अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया है। फील्ड वर्कर ही प्रशंसा के असली हकदार है। अब इस लक्ष्य को 3 साल तक सस्टेनेबल बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

 प्रत्येक पीएचसी में जांच की सुविधा होनी चाहिए :

 इस दौरान केयर इंडिया के डॉ इंद्रनाथ बनर्जी ने कहा कि भले ही आज हम लोगों ने एक कलाकार को एलिमिनेट कर लिया है। लेकिन कालाजार मरीजों की पहचान और जांच की प्रक्रिया हमेशा बनी रहे। कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों का फॉलोअप करना भी आवश्यक है। कालाजार एलिमिनेट हो जाने का मतलब यह नहीं है कि पीएचसी में जांच की सुविधा बंद हो जाए, बल्कि प्रत्येक पीएचसी में जांच की प्रक्रिया जल्दी लाने चाहिए तभी कलाजार के नए मरीजों की पहचान हो सकेगी। उन्होंने कहा कि हम चाहे जमीनी स्तर पर कितना भी कार्य कर ले लेकिन रिकॉर्ड के रूप में लिखित रूप से प्रमाण होना भी जरूरी है। ताकि आने वाले समय में यह देखा जा सके कि कलाजार उन्मूलन के लिए पिछले दिनों में क्या-क्या किया गया है।  


 छह माह तक मरीजों का फॉलोअप करना जरूरी :

 आरएमआरआई  के डॉ.  मधुकर ने कहा कि कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों का फॉलोअप करना बहुत जरूरी होता है।  कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों का 6 माह तक आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा फॉलोअप किया जाना चाहिए। कभी-कभी  कालाजार के मरीजों के आंखों की रोशनी भी चली जाती है या रोशनी कम हो जाती है इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पीकेडीएल के मरीजों को 84 दिनों के दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी है।