कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिला स्तरीय बैठक आयोजित
कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिला स्तरीय बैठक आयोजित
P9bihar news
सत्येन्द्र कुमार शर्मा
सारण:- सिविल सर्जन:- टीबी मुक्त पंचायत में संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।सीडीओ:- बैठक के दौरान यक्ष्मा विभाग के कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया।डीपीसी:- समुदाय में फैली भ्रांतियों एवं भेदभाव को दूर करना पहली प्राथमिकता है।
राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत "टीबी मुक्त पंचायत पहल" कार्यक्रम की सफ़लता को लेकर जिलास्तरीय बैठक जिला यक्ष्मा केंद्र के सभागार में जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक के दौरान जिला योजना समन्वयक हिमांशु शेखर, जिला टीबी एड्स समन्वयक मुकेश कुमार, सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी, वर्ल्ड विजन इंडिया के जिला समन्यवक रणधीर कुमार, यक्ष्मा विभाग के लिपिक रतन संजय, डेटा ऑपरेटर अनंत कुमार सहित जिले के सभी एसटीएस और एसटीएलएस के अलावा कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।
सिविल सर्जन:- टीबी मुक्त पंचायत में संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिले के चयनित प्रखंड के चयनित पंचायत के वार्ड एवं ग्राम को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। रोगियों के इलाज के साथ ही आमजनों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसको लेकर अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधि, चिकित्साकर्मी, टीबी चैंपियन, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका समूह से जुड़ी दीदी और स्थानीय स्तर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से सामुदायिक स्तर पर बैठक का आयोजन किया जाएगा।
सीडीओ:- बैठक के दौरान यक्ष्मा विभाग के कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि जिले के सभी क्षेत्रों में टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन अधिक से अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। मालूम हो कि आगामी 2025 तक देश को टीबी मुक्त करना है। किसी भी व्यक्ति में टीबी बीमारी से संबंधित लक्षण की जानकारी मिलती है
तो उसे अविलंब स्थानीय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर ले जाएं और जांच कराकर संपूर्ण उपचार कराएं। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस, एसटीएलएस और पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया कि टीबी रोग की पहचान होते ही संबंधित अधिकारी या कर्मी उसके घर का भ्रमण जरूर करें।
गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष उम्र तक के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
डीपीसी:- समुदाय में फैली भ्रांतियों एवं भेदभाव को दूर करना पहली प्राथमिकता है।
यक्ष्मा विभाग के डीपीसी हिमांशु शेखर ने कहा कि विभागीय स्तर पर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है कि दूरस्थ एवं चिह्नित कठिन क्षेत्रों में आशा एवं अन्य सामुदायिक उत्प्रेरक की दो सदस्यीय टीम के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर प्रतिदिन कम से कम 50 घर का भ्रमण करने के साथ ही संभावित टीबी रोगियों की पहचान करने के लिए कहा गया है।
सबसे निचले पायदान के लोगों में जागरुकता पैदा कर टीबी के प्रति समुदाय में फैली भ्रांतियां एवं भेदभाव को कम करना, टीबी रोगियों को शीघ्र निदान एवं उपचार दिलवाना, टीबी की बीमारी को लेकर जागरूक कर संभावित टीबी रोगी को जांच के लिए प्रेरित करना, टीबी रोगियों और उनके परिवारों को परामर्श आदि सहायता उपलब्ध करवाना ही टीबी मुक्त पंचायत पहल अभियान का मुख्य उद्देश्य है।