अक्टूबर में होगा नाइट ब्लड सर्वे
अक्टूबर में होगा नाइट ब्लड सर्वे
-उसके बाद सर्वजन दवा सेवन के तहत चलेगा आइडीए अभियान
- नीति आयोग ने की फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले की सराहना
P9bihar news
प्रमोद कुमार
मुजफ्फरपुर।
नीति आयोग ने डीडीसी आशुतोष द्विवेदी द्वारा फाइलेरिया पर प्रस्तुत रिपोर्ट की तारीफ की है। पूरे राज्य में फाइलेरिया कार्यक्रम के लिए जिले की सराहना हो रही है। अक्टूबर से जिले में नाईट ब्लड की भी शुरुआत होगी। ये बातें गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने डब्ल्यूएचओ द्वारा नाइट ब्लड सर्वे के लिए आयोजित वर्कशॉप में कही। उन्होंने कहा कि इस बार नाईट ब्लड सर्वे को एक उत्सव की तरह मनाएंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत डब्ल्यूएचओ की डॉ माधुरी ने फाइलेरिया के बारे मे विस्तार से चर्चा कर की। डॉ माधुरी ने कहा कि जिले में हाल में ही 15 हजार फाइलेरिया से पीड़ित लोगों की लाइन लिस्टिंग की गयी है। अभी हाइड्रोसील के लगभग दो हजार मरीज की लाइन लिस्टिंग है। जो वास्तविकता में 25 हजार के करीब हो सकती है। क्योंकि बिहार में अगर सौ में 37 मरीज लिंफेटिक फाइलेरिया के हैं तो हाइड्रोसील में यह 62 प्रतिशत होगी।
डब्ल्यूएचओ एनटीडी के राज्य प्रमुख डॉ राजेश पांडेय ने फाइलेरिया के होने और उसके स्टेज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया में सबसे प्रमुख इसके प्रसार को रोकना है, क्योंकि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। अगर नाइट ब्लड सर्वे में एक प्रतिशत से कम लोग पॉजिटिव मिलते हैं तो यह अच्छी बात होगी।
अक्टूबर में होगा नाईट ब्लड सर्वे-
वर्कशॉप के दौरान सीएस ने कहा कि नाईट ब्लड सर्वे संभवतः अक्टूबर में होगी। इसमें प्रत्येक प्रखंड से दो साइट का चुनाव किया जा रहा है। एक साईट पर 300 ब्लड सैंपल कलेक्शन करना है, अर्थात एक प्रखंड में 600 ब्लड सैंपल इकठ्ठा करना है। इसमें एक स्थायी साईट तथा एक रैंडम साइट होंगे।
फाइलेरिया केस के आधार पर स्थायी साइट का चुनाव किया जाएगा। एनबीएस रात के 8 बजे से 12 बजे के बीच होगा क्योंकि इसी बीच फाइलेरिया के परजीवी ज्यादा एक्टिव होते हैं। नाईट ब्लड सर्वे 20 साल के ऊपर के व्यक्तियों का ही होगा। 28 सितंबर को लैब टेक्नीशियन को राज्यस्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
एनबीएस के बाद चलेगा आइडीए राउंड-
सीएस ने कहा कि अभी तक जिले में एमडीए के तहत सिर्फ दो दवा खिलाई जाती थी, लेकिन इस बार जिले में आइडीए के तहत तीन दवा खिलाई जाएगी। इसमें आइवरमेक्टिन नाम की दवा पहली बार जिलेवासियों को मिलेगी। इस दवा के साथ होने से दवा और प्रभावी हो जाएगी। जिसे लगातार दो साल तक खाने से फाइलेरिया से बचाव संभव हो पाएगा। इस दवा को डोज पोल के हिसाब से खिलाया जाएगा।
इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा, एसीएमओ डॉ सुभाष प्रसाद, भीबीडीसी पुरुषोत्तम कुमार, ड,ब्ल्यूएचओ के डॉ माधुरी, डॉ राजेश पांडेय, केयर डीटीएल सौरभ तिवारी, डीपीओ सोमनाथ ओझा, पीसीआइ के संजय सिंह, सिफ़ार की डीसी नीतू सहित सभी प्रखंड के बीसीएम, बीएचएम और केटीएस सहित डेवलपमेंट पार्टनर्स भी मौजूद थे।