मां का दूध बच्चे के लिए प्राकृतिक इम्‍यूनिटी बूस्टर : सीएस

मां का दूध बच्चे के लिए प्राकृतिक इम्‍यूनिटी बूस्टर : सीएस

मां का दूध बच्चे के लिए प्राकृतिक इम्‍यूनिटी बूस्टर : सीएस

P9bihar news 


प्रमोद कुमार 
सीतामढ़ी।
कोरोना आने के बाद से हर व्यक्ति इम्‍यूनिटी के पीछे भाग रहा है। बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर धड़ल्ले से बिक रहे हैं, और घर पर लोग तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं। लेकिन अगर बच्चों के लिए प्राकृतिक इम्‍यूनिटी बूस्टर की बात करें तो वह है माँ का दूध। माँ के दूध में पाये जाने वाले पोषक तत्व बच्चे को जीवन भर इम्‍यूनिटी प्रदान करते हैं। यह बच्चे के लिए प्रथम टीके के रूप में कार्य करता है, जो कि उसे रोग और मृत्यु से बचाता है। इसी उद्देश्य से  जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा।

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र लाल ने बताया कि एक से सात अगस्त तक जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों सहित अन्य जगहों पर विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। स्तनपान सप्ताह के सफल आयोजन को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने  सभी सिविल सर्जन को पत्र जारी किया है।सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र लाल ने बताया कि सदर अस्पताल सहित जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित किया जाएगा।

विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान जिला स्तर और प्रखण्ड स्तर पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही प्रसव केंद्र पर ममता का स्तनपान से होने वाले वाले लाभ के संबंध में उन्मुखीकरण होगा। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) को नोडल अधिकारी बनाया गया है, वहीं विभिन्न्न स्वास्थ्य संस्थानों के प्रसव केंद्र के पोस्ट नेटल वार्ड की  इंचार्ज को इस दौरान उस संस्थान का नोडल पर्सन घोषित किया गया है।विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष बनाया जाएगा।

स्तनपान कक्ष का निर्माण विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में स्थापित कंगारू मदर केयर यूनिट के अलावा होगा। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान किसी एक दिन जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें धात्री माताओं को स्तनपान के महत्व के साथ-साथ शिशु की स्वास्थ्य संबंधी  सभी आवश्यक जानकारियां दी जायेंगी।

आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान शिशु के जन्म के एक घण्टा के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में मां की सहायता करने के साथ माताओं को छह माह तक अपने शिशु को केवल स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करेंगी।सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र लाल ने बताया कि स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित शारीरिक और मानसिक विकास होता है।

वहीं वयस्क होने पर गैर संचारी बीमारियों के होने का भी खतरा कम हो जाता है। माँ के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो  भविष्य में उसे कई तरह के संक्रमणों से सुरक्षित करता है।