दूसरों के लिए प्रेरक बन रही जायदा खातून

दूसरों के लिए प्रेरक बन रही जायदा खातून

दूसरों के लिए प्रेरक बन रही जायदा खातून

- फाइलेरिया के खिलाफ लोगों को करती हैं जागरूक
- एमएमडीपी किट से मिली जायदा को राहत

P9bihar news 


प्रमोद कुमार 
मोतिहारी,पू०च०।
रामगढ़वा प्रखंड में बेला की रहने वाली जायदा खातून का बायाँ पैर फाइलेरिया से बुरी तरह सूज चुका है, कई जगह इलाज कराने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। 45 वर्षों तक फाइलेरिया का दंश झेलते हुए वह एक दिन सरकारी अस्पताल पहुंची, जहां उन्हें एमएमडीपी किट देकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। अब उन्हें काफी आराम है। सही उपचार व सलाह मिलने के बाद उन्होंने फैसला लिया कि लोगों को अब वह फाइलेरिया पर जागृत करेंगी।

इसके बाद जायदा का कारवां निकल पड़ा। लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करना अब जायदा की रोजमर्रा के काम में शुमार हो चुका है।जायदा खातून ने बताया कि पहले पैर के अचानक फूलने पर वे कुछ समझ नहीं पाई। उन्होंने कई चिकित्सकों को दिखाया, इलाज कराया। बहुत बाद में पता चला कि उनके बायें पैर में फाइलेरिया है। इसकी वजह से वह अब ज्यादा काम नहीं कर सकती है। यह सोचकर वह दुःखी हो गई। जायदा ने बताया कि फाइलेरिया से बचने के लिए कई तरह की दवाएं खाई पर फायदा नहीं हुआ।

जायदा खातून ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव को गाँव में आशा व स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा एमडीएम दवा सेवन की जानकारी होने पर वे खुद के साथ कई ग्रमीणों को दवा सेवन करने के लिए कहती है। वे फाइलेरिया से बचाव को शुरुआत में ही दवा सेवन को सबसे कारगर एवं  सुरक्षित बताती है।जायदा खातून लोगों को फाइलेरिया रोग से बचने के लिए कहती हैं कि डेंगू-मलेरिया के साथ फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचना है तो मच्छर के काटने से भी बचना होगा। मच्छर के काटने से भी इस रोग के होने का खतरा रहता है।

इस रोग के लक्षण संक्रमित होने के छह महीने या साल भर बाद दिखाई देते हैं। इसलिए इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करने के साथ कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।जायदा खातून ने कहा कि जब भी सरकार द्वारा दवा वितरित की जाए, सभी को दवा का सेवन करना चाहिए। इस प्रकार के उपाय अपनाएंगे तो फाइलेरिया जैसे रोग के होने के डर से जीवन भर के लिए मुक्ति मिल सकती है।