आशा अपने क्षेत्र में 30 वर्ष से ऊपर के लोगों की करेंगी एनसीडी जांच

आशा अपने क्षेत्र में 30 वर्ष से ऊपर के लोगों की करेंगी एनसीडी जांच

आशा अपने क्षेत्र में 30 वर्ष से ऊपर के लोगों की करेंगी एनसीडी जांच

- कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आशा कार्यकर्ताओं को किया जा रहा प्रशिक्षित

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

सीतामढ़ी। 

कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कन्ट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिसीसेस एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) कार्यक्रम के अंतर्गत जिले की आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक के निर्देश पर आशाओं का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम महिला आईटीआई में चल रहा है।

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सुनील कुमार सिन्हा प्रशिक्षण दे रहे हैं । डॉ. सिन्हा ने बताया  कि आवासीय प्रशिक्षण में आशा कार्यकर्ताओं को गैर संचारी रोगों की जांच, बचाव और उपचार की जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला सामुदायिक उत्प्रेरक समरेंद्र नारायण वर्मा और एनसीडी कोषांग के मनोज कुमार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

25 बैच में आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2022-2023 के लिए राज्य स्तर से 25 बैच के आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण निर्धारित किया गया है। प्रत्येक बैच में 30 आशा शामिल रहेंगी और प्रशिक्षण के अंतिम दिन 2 एएनएम को भी प्रशिक्षित किया जाना है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि इन 25 बैच के अलावा मेडिकल ऑफिसर, एएनएम, जीएनएम, सीएचओ, बीएचएम, बीसीएम, फार्मासिस्ट, डेटा ऑपरेटर का भी प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। 

30 वर्ष या उससे ऊपर के लोगों की  एनसीडी जांच जरूरी

डॉ. सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि पांच दिवसीय प्रशिक्षण गैर संचारी रोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पांच दिन  में आशा कार्यकर्ताओं को यह बताया जा रहा है  कि उन्हें अपने क्षेत्र के हर घर में जाकर 30 वर्ष या उससे ऊपर के लोगों की  एनसीडी हेतु जांच करना है।  इससे समय पर रोगों की पहचान हो सकेगी। डॉ. सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय में गैर संचारी रोगों जैसे बीपी, डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर, कार्डियक स्ट्रॉक आदि भयावह रूप लेती जा रही है। इसलिए ससमय इन रोगों की पहचान आवश्यक है, जिससे लोगों को इन रोगों से बचाया जा सके।