दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित 

दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित 

प्रमोद कुमार 

मोतीहारी,पू०च०।
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय एवं रासा, नई दिल्ली द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार
भारत में सतत कृषि नवोन्वेषण एवं बदलाव: अवसर एवं चुनौतियां
प्रबंध विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, एवं रासा, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनन्द प्रकाश और रासा के अध्यक्ष इन्जी. ए.के. सिंह, वेबीनार में आमंत्रित मुख्य अतिथि प्रो. ए.के. सिंह (उप महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली), मुख्य वक्ता डाॅ. धनन्जय कुमार सिंह (प्रोफेसर गोविन्दवल्लभपन्त कृषि विश्वविद्याल, पंतनगर), सम्मानित अतिथि डाॅ. सुभाष चन्द्र ( निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) के उपस्थिति में आयोजित किया गया।

सतत विकास के लिए कृषि अनुसंधान में नवोन्वेषण जरूरी: प्रो. ए.के. सिंह (उप-महानिदेशक, एक्सटेंशन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली)
वेबीनार में आमंत्रित मुख्य अतिथि प्रो. ए.के. सिंह (उप-महानिदेशक, एक्सटेंशन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) ने अपने व्यक्तव्य में कहा, आजकल सतत विकास एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बन गया है,

इसके लिए कृषि वैज्ञानिक ऐसे नवाचारों पर काम कर रहे हैं जो सतत विकास की ओर ले जा सकते हैं, जबकि कई लोग इन नवाचारों को विनाशकारी पाते हैं। साथ ही उन्होनें कहा, उत्पादकता वृद्धि पर केंद्रित कई प्रथाएं हैं, लेकिन समग्र रूप से, इसे मिट्टी के स्वास्थ्य, पोषण, पारिस्थितिकी आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

श्री सिंह ने एक ऐसे जैव-चक्र की आवश्यकता पर बल दिया जिसमें मृदा स्वास्थ्य, भूजल, पशु और मनुष्य इस प्रकार विकसित हों कि एक की वृद्धि दूसरे को प्रभावित न करे। उन्होंने अपना संबोधन इस सुझाव के साथ समाप्त किया कि शोधकर्ताओं को न केवल नवाचारों पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका शोध जमीन पर किसानों तक पहुंचे जिससे समग्र ग्रामीण विकास निरन्तर होता रहे।

वेबीनार के सह-संरक्षक एवं रासा के अध्यक्ष इन्जी. ए.के. सिंह ने अपने उद्बोधन की शुरूआत सतत विकास के अवधारणा से किया। उन्होनें कहा बहु-अनुशासनात्मक संघों पर ध्यान केंद्रित करने एवं विभिन्न लोगों के लिए सतत विकास के अलग-अलग अर्थ हैं। एक किसान के लिए जिसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा है, उसके लिए सतत उत्पादन बढ़ाने से ज्यादा जरूरी उसके परिवार की आजीविका या उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आय हो सकती है।

जब वह किसान संतुष्ट होगा तभी सतत विकास के प्राथमिक लक्ष्य पर विचार कर सकता है, तभी प्राकृतिक संसाधनों को समृद्ध करने, और अपने उत्पादन की गुणवत्ता को जारी रखने या बनाए रखने में सक्षम होगा। इन्जी. सिंह ने बहुआयामी कृषिगत उत्पादन को सही बताते हुए कहा, इससे लगभग 55 प्रतिशत वर्कफोर्स (रोजगार) सृजित किया जाता है।

इसके आलावा ग्रामीण बाजार, उत्पादन लागत, नीति निर्धारण, एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा खोज की गई समस्याओं का पारदर्शिता के साथ समय पर समाधान करना आवश्यक बताया।वेबीनार में आमंत्रित मुख्य वक्ता डाॅ. धनन्जय कुमार सिंह (प्रोफेसर गोविन्दवल्लभपन्त कृषि विश्वविद्याल, पंतनगर) ने जलवायु परिवर्तन परिदृश्य और जैविक खाद्य के बारे में उपभोक्ताओं की धारणा पर प्रकाश डाला।

उन्होंने जैव-विविधता, जैविक चक्र, मृदा जैविक गतिविधि, और जैविक खेती के कुछ सिद्धांतों के साथ-साथ जैविक खेती के बारे में कुछ तथ्यों सहित कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जैविक भोजन में अधिक पोषक तत्व को मिट्टी की उर्वरता की निगरानी में प्राकृतिक खाद प्रसंस्करण के अधिकाधिक प्रयोग को आवश्यक बताया। वेबीनार में आमंत्रित सम्मानित अतिथि डाॅ. सुभाष चन्द्र (निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-एन.सी.आई.पी.एम.,नई दिल्ली) ने अपने उद्बोधन में कहा, एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता है

जहां एक किसान उन्नत तकनीकों से सुसज्जित हो और साथ ही, भारत के कृषि बाजार के बारे में अच्छी तरह से अवगत हो। डाॅ. चन्द्र ने कहा, इन प्रौद्योगिकियों के परिणामस्वरूप किसानों या स्थानीय कृषि उद्यमों के लिए बचाई गई लागत, बढ़ी हुई पैदावार और स्थानीय मूल्य पर कब्जा होता है। व्यवसायों के लिए हमारी सलाह में बाजार में प्रवेश, उत्पाद मूल्य निर्धारण, बिक्री रणनीति, बाजार मूल्यांकन, भुगतान समाधान, मार्ग-से-बाजार रणनीति और कृषि मूल्य श्रृंखला शामिल हैं। दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार के तकनीकी सेशन देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के लगभग 96 शोद्यछात्रों ने अपना शोद्यपत्र प्रस्तुत किया।


विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनन्द प्रकाश ने अपने व्यक्तव्य में कृषि वैज्ञानिकों की प्रसंशा करते हुए कहा, वे आधुनिक तकनीकी के माध्यम से फसल की पैदावार बढ़ाने, ग्रामीण पर्यावरण बनाये रखने, ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने का निरन्तर प्रयास कर रहे है। साथ ही उन्होंने सभी विशेषज्ञों का आभार प्रकट करते हुए आयोजन की प्रशंसा की और प्रबंधन विज्ञान विभाग को सफल कार्यक्रम के लिए सराहना व्यक्त की और उन्होंने कहा भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होते रहें।

कार्यक्रम के संयोजक और पंडित मदन मोहन मालवीय स्कूल आॅफ कामर्स एवं प्रबंध विज्ञान के डीन प्रोफेसर पवनेश कुमार ने आमंत्रित सभी विषेषज्ञों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। प्रोफेसर पवनेश कुमार ने कृषिगत कार्य को मानव रक्षा, स्वस्थ्य पर्यावरण, सतत ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए आवष्यक बताया। भारतीय कृषि शोध संस्थान के प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ अवनी कुमार सिंह ने आमंत्रित सभी विशेषज्ञ मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापन दिया।

समापन समारोह
समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनन्द प्रकाश और रासा के अध्यक्ष इन्जी. ए.के. सिंह, आमंत्रित मुख्य वक्ता डाॅ. राजेश कुमार सिंह (प्राध्यापक वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, वाराणसी), आमंत्रित सम्मानित अतिथि डाॅ. वी. के सिंह (निदेशक केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद) की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। समापन समारोह में सह-संरक्षक एवं रासा के अध्यक्ष इन्जी. ए.के. सिंह ने अपने उद्बोधन में किसानो के बुनियादी सुविधाओं, अजीविका, एवं आमदनी को महत्वपूर्ण बताते हुए किसानों और ग्रामीण लोगों के समक्ष होने वाली उनकी परेशानियों एवं कठिनाईयों से अवगत कराया।

उन्होनें महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज एवं स्वावलम्बन को जिक्र करते हुए कहा, किसानों को आात्मनिर्भर बनाने के लिए बुनियादी शिक्षा एवं कृषिगत ढ़ाचा को समग्र रूप से विकसित करने की जरूरत है। समापन समारोह में आमंत्रित डाॅ. वी. के सिंह (निदेशक केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद) ने अपने उद्बोधन में सतत कृषि को परिभाषित करते हुए कहा, आज जो प्राकृतिक संसाधन हमारे पास उपलब्ध है उन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाय जिससे उसकी अधिकतम दक्षता प्राप्त किया जा सके ताकि भविष्य में आने वाली हमारी पीढ़ी के लिए आज के बराबर या अधिक संसाधन उपलब्ध रहे, तभी सतत कृषि विकास संभव हो सकेगा। इसके लिए उन्होनें संसाधन प्रबन्धन को तकनीकी रूप से मजबूत और भावी जरूरतो के अनुसार विकसित करने को आवष्यक बताया।आयोजन सचिव डॉ सपना सुगंधा ने आमंत्रित सभी विषेषज्ञों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया।आयोजन सचिव डॉ. आकर्ष परिहार (आनन्द कृषि विश्वविद्यालय) ने आमंत्रित सभी विशेषज्ञ मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापन दिया।


इस दो दिवसीय वेबीनार में, कार्यक्रम के संयोजक एवं पंडित मदन मोहन मालवीय स्कूल आॅफ वाणिज्य एवं प्रबंध विज्ञान के डीन प्रोफेसर पवनेश कुमार, आयोजन सचिव डॉ सपना सुगंधा, सह-सचिव डॉ अलका ललहाल, डॉ स्वाति कुमारी, श्री कमलेश कुमार, श्री अरूण कुमार तथा प्रबन्धन विज्ञान विभाग के शोधार्थीयों ने कार्यक्रम में विषेश योगदान दिए, तथा इस राष्ट्रीय वेबिनार को प्रबन्धन विज्ञान विभाग के फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण किया गया। राष्ट्रीय वेबिनार में 200 से ज्यादा विद्यार्थी, शोधार्थी और प्रतिभागियों ने भाग लिया।