ब्रम्हाण्ड में किसी के अहंकार को भगवान ने नहीं रहने दिया

ब्रम्हाण्ड में किसी के अहंकार को भगवान ने नहीं रहने दिया

ब्रम्हाण्ड में किसी के अहंकार को भगवान ने नहीं रहने दिया

राकेश कुमार सिंह,

गडखा :- प्रखंड के कोठिया-नरांव के धनौरा में चल रहे नव दिवसीय रूद्र महायज्ञ के प्रांगन में बक्सर के रामलीला संकिर्तन मंडल ने अपने पहले दिन के प्रसंग में भगवान भोलेनाथ द्वारा माता पार्वती जी के संवाद का चित्रण किया। नारद जी के अहंकार और मोह ग्रस्त होने की कथा का वर्णन कर दर्शको को आत्म विभोर कर दिया ।

माता पार्वती के पूछे जाने पर नारदजी के अहंकार के विषय में बताते हुए भोलेनाथ ने कहा कि जब नारदजी हिमालय के अद्भुत वादियों में तपश्या करते हुए कामदेव के उपर भी जीत हासिल कर लिया तो उन्हें यह अहंकार हो गया कि हमारे तपश्या को कामदेव भी भंग नही कर पाये तो मै भगवान भोलेनाथ से भी ज्यादा बड़ा तपश्वी बन गया।

इस तरह का अहंकार जब उनपर हावी हो गया तो उनके अहंकार को भी तोड़ने के लिए भगवान लक्ष्मी नारायण को एक अलग लोक बनाना पड़ा और विश्व मोहनी का श्रृजन कर उनसे मोहित कराके अहंकार को तोड़ना पड़ा।हलाकि इस अहंकार को तोडने के लिए उन्हें नारदजी को बन्दर का रूप देना परा जिसके कारण  देव ऋषि नारद द्वारा भगवान को मानव बनकर तड़पने का श्राप से ग्रसित होना पड़ा।

हलाकि भगवान सब जानते है उन्हें श्राप का पता था फिर भी अपने भक्त का कल्याण करने के लिए उन्हें नारदजी का अहंकार तोड़ना पड़ा और नारदजी के श्राप के परिणाम स्वरूप उन्हें राम अवतार धारण करना पड़ा।

यज्ञ परिसर में उपस्थित भक्तों ने रामलीला प्रसंग के माध्यम से रामचरित मानस प्रसंग के चित्रण से अहंकार का त्याग कर सफल इंशान बनने के लिए शिक्षा प्रदान किए।सभी भक्त भक्ति रस में डूब गये थे।मध्यान के बाद आयोजित रामलीला प्रसंग में नर नारी बच्चे सभी आत्म विभोर हो गये।