एनआरसी से तंदरुस्त होकर निकले चार बच्चे
एनआरसी से तंदरुस्त होकर निकले चार बच्चे
आयुष कुमार आर्यन कुमार पायल और गौरी के जीवन में आई सेहत की बहार
P9bihar news
प्रमोद कुमार
शिवहर।
पोषण पुनर्वास केंद्र में मालती देवी की खुशी साफ झलक रही थी। तीन बच्चों की मां मालती देवी खुश भी क्यों न हों, पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर कुपोषण के शिकार उनसके बच्चों की सेहत जो ठीक हो गयी है। कुपोषण के शिकार उसके बेटे आयुष कुमार, आर्यन कुमार और बेटी पायल को पोषण पुनर्वास केंद्र में जीवनदान मिल गया है। अपने स्वस्थ बच्चों के साथ मालती देवी खुश होकर मंगलवार को अपने घर चली गयीं।
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुछ दिन के इलाज, पोषक आहार के खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से तीनों बच्चे स्वस्थ हो गए। पोषण पुनर्वास केंद्र की इंचार्ज सुनीता तिवारी ने बताया कि गर्भवती माता में खानपान में कमी, जागरूकता का अभाव व समुचित देखभाल नहीं हो पाने के कारण आज भी कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो जा रहे हैं।
लेकिन सरकार की ओर से चलाए जा रहे पोषण पुनर्वास केंद्र इस तरह के बच्चों को नया जीवन दे रहा है। जिले के सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र से सैकड़ों बच्चे स्वस्थ हुए हैं। मंगलवार को चार बच्चे कुपोषण से ठीक होकर अपने घर लौट गए।पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटीशियन चित्रा मिश्रा ने बताया कि जब एक महीने 10 दिन की आयु का आयुष 21 जून को केंद्र में भर्ती हुआ तो, उस वक्त उसका वजन 3 किलो 800 ग्राम था, जो असामान्य था।
यहां भर्ती होने के बाद उचित इलाज, पोषण आहार के खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से आयुष के चेहरे पर हंसी लौट आयी। केन्द्र में भर्ती होने के महीने भर में ही उसका वजन 4 किलो 630 ग्राम हो गया। वहीं 33 महीने का आर्यन 9 किलो 950 ग्राम से 10 किलो 470 ग्राम हो गया और 48 महीने की पायल 12 किलो से 12 किलो 800 ग्राम की हो गई।
48 महीने की एक अन्य बच्ची गौरी कुमारी भी 10 किलो 300 ग्राम से 11 किलो की होकर अपने घर चली गई। इस दौरान सभी के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा भी बढ़ी और उसकी लंबाई भी।चित्रा मिश्रा बताती हैं कि पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को खुराक (डाइट) के अनुसार खाना दिया जाता है।
यहां केंद्र पर भर्ती बच्चों के लिए डाइट प्लान तैयार किया गया है। जिसके अनुसार बच्चों को मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेब, चुकंदर, अंडा आदि दिया जाता है। केंद्र पर आने वाले बच्चों की माताओं की काउंसिलिंग भी की जाती है। काउंसिलिंग में बताया जाता है कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए क्या-क्या खिलाना है।