विश्व को ज्ञान देने वाले बिहार में आज भी विविध संभावनाएं :- राजन

विश्व को ज्ञान देने वाले बिहार में आज भी विविध संभावनाएं :- राजन

सत्येन्द्र कुमार शर्मा,
पत्रकार।
युवा सीमाओं के बंधन से मुक्त होकर सम्भावनाओ की खोच में निकले।उक्त बातें राजन कुमार ने कहा है।उन्होंने कहा कि.तकनीकी शिक्षा ही युवाओं को बेरोजगारी की मार से बचा सकता है।


बिहार शब्द जैसे ही जुबान पर आता है, ऐतिहासिक, पौराणिक व सांस्कृतिक स्मरण होने लगते है। हमारी सभ्यता व सांस्कृति विश्व के लिए अनुकरणीय रहा है। हम तक्षशिला व विक्रमशिला के माध्यम से विश्व को शिक्षित बना रहे थे। हम अपनी क्षमता से अखण्ड भारत के शक्ति का केन्द्रविन्दु बने अर्थात हम अपनी क्षमता से अखण्ड भारत पर शासन करते रहे है। हमारी बौद्धिकता का विश्व में पहचान रही है।

हमने दुनिया को शून्य दिया है। यह हमारा इतिहास उस समय की  है, जब टेक्नोलॉजी नहीं था और आज टेक्नोलॉजी पद्धति के समय में हमारी पहचान मजबूत से मजदूर व मजबूर सप्लायर पैदा करने वाला इंडस्ट्री के रूप में हो गया है। हमारे प्रदेश के लोग दूसरे राज्यो अपमानित किए जा रहे है। हमारे प्रदेश के युवाओं का अन्य प्रदेशों में रहस्यमयी तरीके से हत्या हो रहा है। ऐसा क्या हो गया कि विश्व को शिक्षित करने वाला बिहार अपनी विवषता का तमाशा बना हुआ है ?

इसका मूल कारण यह है कि अब टेक्नोलॉजी कॉफी बढ़ गया है। इस टेक्नोलॉजी के साथ हमारे समाज में जातीय व धार्मिक उन्माद के साथ समाजिक विषमता भी बड़ी जोड़ो से बढ़ा है। इसमें विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ सोशल मीडिया का भी बड़ा योगदान रहा है। राजनीतिक पार्टियों के जातीय व धार्मिक समीकरण और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने प्रदेश के युवाओं को पंगु बना दिया है।

हमारे युवाओं के अंदर रचनात्मक मानशिकता के जगह नकारात्मक मानशिकता का विकास हुआ है। जिसके कारण सभी युवा अपने प्रतिभा  पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं करते हुए एक पारम्परिक सिस्टम की तरह सभी सामान्य शिक्षा व सरकारी नौकरी पर ही फोकस कर रहे है और सरकारी व्यवस्था उन युवाओं के सपना को रात्रि सपना समझकर भुलाने के लिए पूरी शक्ति का उपयोग कर रही है।

राज्य व केंद्र सरकार दोनों ने किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की प्रक्रिया को समय से पूरी नहीं किया है। इसके साथ पेपर लिक व भ्रष्टाचार की समस्या अलग विकराल रूप ले लिया है। जिसका  बीपीएससी पेपर लिक, रेलवे एनटीपीसी, सेना बहाली प्रक्रिया करेंट उदाहरण है।अभी साधारण परिवार के युवा सरकारी व्यवस्था के शिकार बड़े स्तर पर हो रहे है और हताशा के स्थिति में बहुत सारे युवा दलालो के चंगुल में फंस जा रहे है। इसके साथ बेरोजगारी जैसे जटिल समस्या से भी संघर्ष करना पड़ रहा है। 


लेकिन इसके अलावा वर्तमान समय में भी बिहार के युवाओं ने अपने प्रतिभा से बिहार को गौरवांवित किया है। बेगूसराय के ऋतुराज चौधरी ने गूगल जैसे कम्पनी को चैलेंज कर बिहारी प्रतिभा को पुनर्जीवित किया है। ऐसे प्रतिभावान युवा के वजह से भोजपुरी को भी गूगल ट्रांसलेटर में जोड़ा गया है। इसके साथ भागलपुर के विशाल सिंह ने रियलिटी शो में भाग लेकर अपने संघर्ष  शौर्य से बिहार को उर्जावान्वित किया है।

पूर्णिया की प्रियंका गुप्ता ने स्वयं चाय की दुकान खोलकर एक संदेश दिया है कि शिक्षा ही किसी भी काम को सही तरीके से करने का उचित माध्यम है। अन्यथा कठोर परिश्रम भी समझदारी के अभाव में सफल नहीं बना सकता है। इसके अलावा भी लाखों बिहारी प्रतिभा विश्व में अपनी प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कर रहे है।

लेकिन प्रदेश अधिकांशतः युवा कन्फ्यूजन के शिकार हो रहे है। इस जटिल समस्या का मूल कारण सामान्य शिक्षा पद्धति अपनाना, सरकारी नौकरी पर फोकस करना और तकनीकी शिक्षा से दूरी बनाना है। इसलिए युवाओ को बेरोजगारी की मार से बचने के लिए अपने अंदर रचनात्मक मानशिकता का विकास करना होगा और अपने आप को तकनीकी शिक्षा से जोड़ना होगा। तकनीकी शिक्षा ही युवाओं को बेरोजगारी की मार से बचा सकता है।

तकनीकी शिक्षा को प्राप्त करने में साधारण परिवार के युवाओं को बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड बहुत मददगार है। युवा अपने आप को सीमाओं के बंधन से मुक्त कर सम्भावनाओ की खोच में निकले। बिहार का गौरवशाली इतिहास फिर से  पुनर्जीवित हो जायेगा।