एनीमिया से बचाव हेतु साफ-सफाई स्वच्छता अहम

एनीमिया से बचाव हेतु साफ-सफाई स्वच्छता अहम

एनीमिया से बचाव हेतु साफ-सफाई स्वच्छता अहम


सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण  :- एनीमिया रोकथाम के लिए स्वच्छता एवं साफ-सफाई काफी कारगर उपाय है। गर्भवती महिलाएं साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।स्वच्छ पानी के सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलेगी।हुकवर्म पेट में संक्रमण एवं एनीमिया के लिए जिम्मेदार होता है।

 स्वच्छता एवं साफ-सफाई किसी बीमारी से बचाव के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि, स्वच्छता एवं साफ-सफाई लोगों को बीमारियों के प्रभाव से काफी बचाव करता है। एनीमिया से बचाव एवं इसके रोकथाम के लिए स्वच्छता एवं साफ-सफाई काफी कारगर उपाय है। साथ ही ऐसे कई अन्य संक्रामक रोग भी हैं, जो दूषित पानी के सेवन या स्वच्छता के आभाव में फैलती है। जिसमें डायरिया एवं टायफाईड प्रमुखता से शामिल होते हैं। इसलिए, हर लोगों स्वच्छता एवं साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने की बेहद जरूरी है। 

- हुकवर्म से शरीर में संक्रमण के साथ होती है खून की कमी : 
हुकवर्म एक परजीवी होता है। यह दूसरे जीवित प्राणी के शरीर में जीवित रहते हैं। हुकवर्म इन्फेक्शन छोटी आंत में होता है। हुकवर्म का लार्वा त्वचा के संपर्क में आने के बाद छोटी आंत में पहुँचता है। जिसके बाद शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जिसमें पेट में दर्द, उल्टी का होना, भूख न लगना, शरीर में खुजली होना, वजन कम जाना एवं थकान जैसे लक्षण शामिल होते हैं।

हुकवर्म के कारण शरीर में हेमोग्लोबिन यानी खून की कमी भी हो जाती है। समान्य तौर पर यह संक्रमण गाँव में अधिक होता है, जिससे छोटे बच्चे भी प्रभावित होते हैं। यह संक्रमण ज्यादातर गंदगी के कारण ही होता है। खुले में शौच करना, हाथों की अच्छे से सफाई नहीं करना एवं नंगे पाँव जमीन पर चलने से इस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

इस लिहाज से साफ-सफाई पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आँतों का वर्म विकासशील देशों के 10 फीसदी आबादी को संक्रमित करता है। जिससे एनीमिया, कुपोषण एवं बच्चों में विकास बाधित होता है। 

- गर्भवती महिलाएं बरतें सावधानियां : 
गर्भवती महिलाओं को साफ-सफाई पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। गर्भावस्था में खून की कमी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हाथों की उचित साफ-सफाई के आभाव में हुकवर्म का खतरा गर्भवती महिलाओं को भी हो सकता है एवं इससे संक्रमण के साथ खून की कमी भी हो सकती है। इस लिहाज से गर्भवती महिलाएं हर बार हाथ धोते समय साबुन या राख का उपयोग करें। बहते या बहते पानी के नीचे हाथ धोएं।

भोजन को तैयार करने या खाने से पहले हाथ धोएं और किसी को खिलाने या दवाइयाँ देने से पहले भी हाथों की सफाई करें। शौचालय जाने के बाद, शौच करने वाले व्यक्ति की सफाई करने, नाक बहने, खांसने, छींकने या किसी जानवर या जानवर के अपशिष्ट को संभालने के बाद और किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल करने से पहले और बाद में भी हाथ धोएं। साथ ही घर में पीने के पानी को स्वच्छ रखें।

पानी को उबालकर या फिल्टर युक्त पानी का सेवन करना जरुरी है। इससे दूषित पानी से फैलने वाले रोगों की आसानी से रोकथाम हो सकती है। 

- स्वच्छता एवं साफ़-सफाई वर्तमान समय की माँग :  
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया, वर्तमान समय में स्वच्छता एवं साफ-सफाई अनिवार्य है। इससे संक्रामक रोगों से भी निजात मिलेगी। उन्होंने बताया, बच्चों में डायरिया दूषित पानी एवं हाथों की साफ-सफाई की कमी के कारण ही होते हैं। इसको लेकर आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान हाथों की सफाई के बारे में जानकारी भी देती है। उन्होंने लोगों से यह अपील भी की है कि सभी लोग साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें और अनावश्यक परेशानियाँ से दूर रहें।