कसमकस और खींचतान वाले राजनीति के दहलीज पर सारण जिला माध्यमिक शिक्षक संघ का चुनाव

कसमकस और खींचतान वाले राजनीति के दहलीज पर सारण जिला माध्यमिक शिक्षक संघ का चुनाव

कसमकस और खींचतान वाले राजनीति के दहलीज पर सारण जिला माध्यमिक शिक्षक संघ का चुनाव

P9bihar news 
सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण :- कुछ दिनों पहले जब चाय के दुकान पर चाय कि चुस्की लेते हुए शिक्षक बीएसटीए चुनाव के सरगर्मियों पर चर्चा करते हुए एक दुसरे से यह पुछते कि आप किस ओर से हैं । किस पैनल को समर्थन देनी चाहिए। लोग अपना अपना मंतव्य और गंतव्य की चर्चा करने लगते। और कुछ लोग तो वैसे, जो बोलते इधर से है, लेकिन उनका मन उधर से रहता है।

कुछ लोग कट्टर समर्थक तो कुछ लोग कट्टर विरोधी, लेकिन
कुछ लोग न्यूट्रल पेश करने कि भी कोशिश करते है।
उस वक्त दो पैनल 
(1). नागेन्द्र + पुनीत पैनल
(2). केदारनाथ पाण्डेय समर्थित विद्यासागर विद्यार्थी पैनल के बीच घमासान रहा।
जिसमें चुनावी रणनीति के तहत यह कहा गया कि नागेन्द्र और पुनीत पैनल नियोजित शिक्षकों का पैनल हैं।
और विद्यासागर विद्यार्थी का पैनल नियमित का हैं।


जबकि सच्चाई यह थी कि पैनल शिक्षकों का था; ना तो नियोजितों का था, और ना ही नियमितों का था, केवल शिक्षकों का था। क्योंकि हर तरफ से थोड़ा या ज्यादा, डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट, छिपकर या सामने, हर तरह के शिक्षक अपने चहेते व पसंदीदा पैनल को समर्थन कर रहें थें। तमाम लड़ाईयाँ, संघर्षों के फलस्वरूप अंततः विद्यासागर विद्यार्थी पैनल को एक मजबूत मैनडेट प्राप्त हुई।


अब जाहिर सी बात हैं कि तमाम शिक्षकों ने विद्यासागर विद्यार्थी पैनल पर ही भरोसा किया तभी तो इतना प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ है।चूंकि यह पैनल भी नियोजितो का ही था केवल सम्मानित बुजुर्ग नियमित शिक्षकों का साथ और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। प्रमाण के तौर पर इस पैनल में कुल मिलाकर नियोजितों का ही बोलबाला रहा। इसमें ज्यादातर नियोजित शिक्षकों को ही पदधारक बनाया गया हैं।


इस पैनल में यह सुनियोजित और स्पष्ट था और हैं कि, एक सचिव पद के लिए विद्यासागर विद्यार्थी और बाकि तमाम सभी पदों को नियोजित शिक्षकों से भरा जायेगा। हालांकि चुनाव के दरम्यान बहुत सारे सकारात्मक और नकारात्मक बाते सामने आयी, बहुत सारे सबक एवं बहुत सारे चीजों को सीखने और समझने का शुभ अवसर मिला।

फिर रणनीति से ऊपर उठकर कूटनीति शुरू हुई और जो लोग विद्यासागर विद्यार्थी पैनल के बैनर तले कार्यरत थे वे अब अलग पैनल कि बात करनें लगें। और फिर इसी पैनल में दो फाड़ हो गया। कथित तौर पर, एक हुआ विद्यासागर विद्यार्थी  पैनल और दूसरा सुजीत कुमार पैनल; एक को कहा जा रहा हैं नियमितों का पैनल और दूसरे को नियोजितों का पैनल। अब फिर तो यहाँ गणितीय कैलकुलेशन इनवैलिड हो रहा हैं। एक ही पैनल में रहकर वोट माँगकर, जीतकर, जीताकर, रहने के बाद फिर एक अलग नया पैनल कैसे संभव हो सकता हैं सवाल खड़ा है।

इसका उत्तर हैं  हाँ, लोकतंत्र है। और राजनीति में कुछ भी संभव है। राजनीति में वह हर चीज हो सकता हैं, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकतें। हाँ यह अच्छा हैं कि इस लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का हक हैं। वह हर कोई जो उक्त पद के लिए सभी क्रिटेरिया को फुलफिल करता हैं चुनाव लड़ सकता हैं।। और वास्तव में चुनाव का मजा भी तभी आता है जब चुनाव में ज्यादा पक्ष-विपक्ष हो। मेरी इच्छा मै भी चाहूँ तो एक अलग गुट बना सकता हूँ और और चुनाव लड़ सकता हूँ।

क्यूँ क्योंकि लोगों का कहना है कि लोकतंत्र हैं। आज सभी लोग को गुरू ही बनना रहना चाहते है किसी को चेला बनना मंजूर नहीं है। और इसका सबसे बड़ा कारण है लोभ, लालच इसके साथ विश्वास में एक मैसिव कमी का होना। आज स्थिति यह हैं कि कोई भी सत्य बोलने को तैयार नहीं, आज किसी के पास हिम्मत नहीं जो गलत का विरोध करें। क्योंकि यदि आप येसा करेंगे तो आपको किसी प्वाइंट में पकड़ कर रगड़ दिया जायेगा। अब इस स्थिति में भला कौन पंगा लेना चाहेगा।लेकिन इन सब अवधारणाओं से परे जो व्यक्ति अंत तक सच्चाइयों का साथ देता हैं जो गलत का विरोध करता हैं वही वास्तविक हीरो हैं।


हर व्यक्ति का अपना एक सिद्धांत और लक्ष्य होनी चाहिए ताकि उसके उस सिद्धांत और लक्ष्य के बदौलत उसे उसका पहचान बन सकें, ताकि आनेवाले उसका भविष्य सुरक्षित हो। लेकिन आज के वर्तमान परिदृश्य में यह देखने को मिलता हैं कि क्षणिक सुख के लिए कुछ लोग कुछ भी करने को तैयार हो जा रहें हैं। जात-पात, ऊँच-नीच कि बाते सुन सुनकर मन काफी दुःखी और व्यथित रहता हैं, क्योंकि शिक्षित समाज और शिक्षकों का कोई जाती नहीं होनी चाहिए।

परन्तु आज सच्चाई हैं कि कुछ अल्प लोग शाम दाम दंड भेद, जाती-पाती का बढ़ावा दे रहें हैं, लोगों कि महत्वकांक्षा, लोभ, लालच के ग्राफ में भारी वृद्धि हुई हैं। और इस कैंसर रूपी बीमारी से लोग ग्रसित होते जा रहें हैं। इसलिए हम सभी को इन तमाम बुनियादी मुद्दे पर ससमय चिंतन मनन करने कि घोर आवश्यकता हैं। अन्यथा आनें वाले दिनों में संघ के टुकड़े होने से कोई नहीं बचा सकता। किसी को बचाने वाला, किसी को मदद करने वाला कोई नहीं मिलेगा। 


उक्त बातें डाॅ. पंकज भारती,के॰ एस॰ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इसुआपुर, सारण, प्रखंड सचिव तरैया के मतानुसार है।