फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति किसानों आमजन को करें जागरूक एवं प्रेरित : जिलाधिकारी
अतुल कुमार
बेतिया,पू०च०। जिलाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में आज जिलास्तरीय अंतर्विभागी कार्य समूह की बैठक सम्पन्न हुयी। इस बैठक में उप विकास आयुक्त, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे।वही इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि किसान फसलों के अवशेष (खुंटी, पुआल, भूसा आदि) को खेतों में नहीं जलायें इस हेतु
जिलास्तर पर विभिन्न विभागों यथा-कृषि विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग, पंचायती राज विभाग, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग आदि को समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्रवाई करनी है।जिलाधिकारी ने कहा कि सामान्यता यह देखा जा रहा है
कि किसानों द्वारा फसलों विशेषकर धान/गेहूं के कटनी के उपरांत फसल अवशेष (खुंटी, पुआल, भूसा आदि) को खेतों में ही जला दिया जाता है। किसानों द्वारा खेतों में फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि पराली वेस्ट नहीं, वेल्थ है। पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाय। कृषकों को इस हेतु जागरूक एवं प्रेरित किया जाय। उन्हें बतायें कि फसल अवशेष खेतों में जलाने से नुकसान ही नुकसान है। कृषक फसल अवशेष का सदुपयोग करें, खेतों में नहीं जलायें। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्रों यथा-कम्बाईन हार्वेस्टर, एसएमएस, स्टॉबेलर आदि के बारे में जानकारी प्रदान करें।
उन्होंने निदेश दिया कि जिला कृषि पदाधिकारी आत्मा एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण दिलाना सुनिश्चित करेंगे। खेतों में फसल अवशेष को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग, फसल के अवशेष को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार (मल्चिंग) विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचाना आदि, हैप्पी सीडर से गेहूं की बोआई का प्रत्यक्षण को प्रोत्साहित करेंगे। पंचायत स्तर पर आयोजित किसान चौपाल तथा कृषि विभाग के अन्य कार्यक्रमों में फसल अवशेष न जलाने के संबंध में किसानों को जागरूक करेंगे। समय-समय पर समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से भी किसानों को जागरूक करेंगे। साथ ही फसल अवशेष नहीं जलाने से संबंधित लघु वृतचित्र तथा रेडियो जिंगल के माध्यम से किसानों को जागरूक करना सुनिश्चित करेंगे।
वन एवं पर्यावरण विभाग को निदेश दिया गया कि फसल अवशेषों को जलाने से वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साईड, कार्बन मोनो ऑक्साईड तथा भोलाटाईल ऑर्गेनिक कम्पाउंड की मात्रा बढ़ती है, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता है, जो जलवायु परिवर्तन का एक कारक हो सकता है। इसके प्रति आमजन को जागरूक करना सुनिश्चित करेंगे।
जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि स्वास्थ्य विभाग एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से फसल अवशेषों को जलाने के कारण मनुष्य विशेष कर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य यथा-श्वास लेने में तकलीफ, आंख, नाक तथा गला में जलन तथा अन्य बीमारियां होने की संभावना है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करेंगे। शिक्षा विभाग छात्र-छात्राओं के बीच फसल अवशेष न जलाने पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता सहित अन्य प्रतियोगिता का आयोजन कर जनजागरूकता कार्यक्रम का संचालन करेंगे।
उन्होंने कहा कि जीविका दीदी तथा मनरेगा कार्यकर्ताओं के माध्यम से फसल अवशेष नहीं जलाने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाय। पशुपालकों को फसल कटनी के उपरांत खेतों में अवशेषों तथा खर-पतवार को भेड़ तथा बकरी को खेतों में चराने के लिए जागरूक किया जाय। भूसा का बेलर मशीन से फॉडर ब्लॉक बनाकर उपयोग करने हेतु जागरूक एवं प्रोत्साहित किया जाय।
उन्होंने निदेश दिया कि पैक्सों तथा प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक किया जाय। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों तथा पंचायत सेवकों के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक किया जाय। उन्होंने कहा कि जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी विभिन्न प्रचार-प्रसार तंत्र के माध्यम से फसल अवशेष खेतों में नहीं जलाने हेतु किसानों तथा आमजन को जागरूक कराने हेतु कार्रवाई करेंगे।
जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूकता का किसानों के बीच कृषक चौपाल लगाकर प्रचारित किया जा रहा है। साथ ही पम्फलेट, फ्लेस, बैनर आदि के माध्यम से किसानों को लगातार जागरूक किया जाय रहा है। इस कार्य में कृषि विभाग के किसान सलाहकार, कृषि समन्वयक सहित सभी अन्य कर्मियों को लगाया गया है।
उन्होंने जिले के किसानों/आमजन से अपील की है कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गयी हो तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, खुंटी आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग करें। अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचायें तथा संधारणीय कृषि पद्वति में अपना योगदान दें।