शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए संतुलित आहार जरूरी- सीएस
प्रमोद कुमार
मोतिहारी,पू०च०।
पूर्वी चम्पारण के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए संतुलित आहार का सेवन जरूरी है। उन्होंने बताया कि भोजन में पोषक तत्वों की कमी से बच्चों की शारीरिक मानसिक विकास प्रभावित होती है। साथ ही उसका असर पूरे मानव जीवन पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ -साथ उनकी माताओं व आम लोगों को भी संतुलित आहार लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि 6 माह तक नवजात को सिर्फ माँ का दूध देना आवश्यक होता है।
इसलिए बच्चों की माता का भी स्वस्थ्य होना आवश्यक है। यह संतुलित आहार पर ही निर्भर होता है। 6 माह के बाद शिशु का सर्वाधिक विकास होने लगता है । उस समय उन्हें ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जिस कारण शिशुओं को भोजन की आवश्यकता पड़ती है जो अनाज,दूध, दाल,हरी सब्जियां, सूखे मेवे, एवं मौसमी फलों के लेने से पूरी होती है।
उन्होंने बताया कि संतुलित आहार लेने वाले बच्चों में कुपोषण के खतरे नहीं देखे जाते हैं। सन्तुलित भोजन लेने वाले बच्चे स्वस्थ्य व सुंदर दिखते हैं।सीएस ने बताया कि- शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनायी जा सकती है। बच्चे के आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए।
शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए संतुलित आहार देना जरूरी है, क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं।
सीएस ने कहा कि गर्मी के दिनों में भी बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें तेज धूप में ज्यादा नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों को खतरा बना रहता है। तेज धूप में ज्यादा रहने से सरदर्द, तेज बुखार, अचेत होने, शरीर में चमकी, पैर हाथ थरथराना, चमकी का खतरा बना रहता है। वहीं इससे बचने के लिए बच्चों को रात में सोने से पहले खाना खिलाना चाहिए।
सुबह जगाएं और देखें कि बच्चा बेहोश तो नहीं है या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी देखते ही नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। अपने बच्चे को तेज धूप से बचाएं। दिन में दो बार स्नान कराएं। रात में भर पेट खाना खिलाये। गर्मी के दिनों में ओआरएस का घोल एवं नींबू पानी पिलाएं।सीएस ने बताया कि सभी बीमारी का जन्म गंदगी से होता है।
इसलिए साफ सफाई पर ध्यान देना चाहिए। साबुन से हाथ धोएं। भोजन के पूर्व व शौच के बाद हाथों को साबुन सेअवश्य धोना चाहिए। ताकि किटाणुओं के संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही बच्चों को प्रतिदिन भोजन से पूर्व मुँह की भी सफाई करनी चाहिए।