सतुआ संक्रान्ति (सतुआन) का पुण्य-पवित्र पर्व आज बृहस्पतिवार को 

सतुआ संक्रान्ति (सतुआन) का पुण्य-पवित्र पर्व आज बृहस्पतिवार को 

प्रमोद कुमार 


मोतिहारी,पू०च०।
सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के दिन को मेष संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे सतुआ संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। सौर मास (सोलर कैलेन्डर) को मानने वाले लोग इसी दिन से नववर्ष का आरंभ मानते हैं।

प्रतिवर्ष चैत्र मास में खरमास लगता है। इसकी समाप्ति के दिन यानि सूर्य के मेष संक्रान्ति में प्रवेश के दिन सतुआ संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है।इस वर्ष 14 अप्रैल को दिन में 10:30 बजे से सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे।

अतः सतुआ संक्रान्ति का पुण्य-पवित्र पर्व 14 अप्रैल बृहस्पतिवार को प्रातःकाल से सायंकाल पर्यन्त मनाया जाएगा।उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।

उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए संक्रान्ति का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन को खरमास समाप्ति और मंगल कार्यों की शुरुआत का दिन तो मानते हीं हैं,पवित्र नदियों में स्नान तथा दान-पुण्य का भी इसे बड़ा पर्व माना जाता है।

सतुआ के सेवन की परंपरा भी यहाँ सदियों से कायम है।इस दिन प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। वही सत्तू,गुड़,चना,पंखा,जल युक्त मिट्टी का घड़ा,आम का टिकोला,ऋतुफल,नया अन्न आदि का दान करने का पुण्यफलदायक विधान है।

इस दिन सत्तू खाने और दूसरे को खिलाने की भी परंपरा है। आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार सत्तू,गुड़ और जल से पूर्ण घड़ा दान करने से समस्त पापों का नाश होता है तथा मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।