दीपावली में मिट्टी के दीयों की बढ़ी मांग, कुम्हारों को उम्मीद अच्छी कमाई से उनका भी घर होगा जगमग
दीपावली में मिट्टी के दीयों की बढ़ी मांग, कुम्हारों को उम्मीद अच्छी कमाई से उनका भी घर होगा जगमग
P9bihar news
प्रमोद कुमार
मोतिहारी,पू०च०।
शहर में प्रकाश पर्व दीपावली पर मिट्टी का काम करने वाले 200 कुम्हार परिवारों के घर को पूर्वी चंपारण जिले का तुरकौलिया गांधी आश्रम और हस्तकला केंद्र रौशन करने में लगा है। हस्तकला केंद्र के माध्यम से इन परिवारों के जीवन को मिट्टी के बने दीये से प्रकाशित करने की कोशिश की जा रही है। डिजायनर दीयों की मांग देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी है। इन्हें इलेक्ट्रॉनिक चाक उपलब्ध कराया गया है। ये कारीगर केवल दीया नहीं बना रहे हैं, बल्कि मूर्ति समेत मिट्टी की कई वस्तुओं को बना रहे हैं।वही आस्था के महापर्व छठ में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के सामानों को भी कारीगर बनाने में जुटे हैं।
कलस्टर के माध्यम से काम कर रहे इन परिवारों के बने सामानों की अच्छी डिमांड होने से इनकी कमाई भी अच्छी हो रही है। इन परिवारों के बने सामानों को बाजार तक हस्तकला केंद्र पहुंचा रहा है। कलस्टर से जुड़े हरसिद्धि प्रखंड के मठलोहियार पंचायत के रहने वाले कारीगर रामायण पंडित का कहना है कि, उनके वार्ड के 50 लोग मिट्टी के काम से जुड़े हैं.वार्ड के 50 लोग मिट्टी के काम से जुड़े हैं. मिट्टी से बने जिस तरह के सामान का ऑर्डर आता है, उसे बनाकर उसकी आपूर्ति की जाती है. अभी दीपावली को लेकर तरह-तरह के दीपक को बनाया जा रहा है। सामान्य दीपक से लेकर डिजायनर दीपक बनाए जा रहे हैं.
केंद्र कोविड के कारण पिछले दो साल तक दीया और मिट्टी से बने सामानों का बाजार काफी प्रभावित रहा है लेकिन इस साल दीपावली और छठ के मौके पर सामान्य और डिजायनर दीया का काफी डिमांड में है। लिहाजा सरकारी सहायता से हस्तकला केंद्र के कलस्टर से जुटे कुम्हारों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. एक साल पूर्व यह केंद्र अस्तित्व में आया है जिसे सरकार ने दस लाख रुपये दिए।
पिछले साल कम मात्रा में डिजायनर दिए बने थे, इसलिए बाहर ज्यादा सप्लाई नहीं हो सकी थी, लेकिन इस साल अभी तक लगभग 10 लाख दीये बने हैं ताकि उन्हें यूपी, दिल्ली, नेपाल और पटना समेत राज्य के अनेक जिले में भेजे जा सके. एक दिन में लगभग दो हजार दीयों का निर्माण हो रहा है. प्रति टेलर मिट्टी और जलावन का दाम बढ़ने से लागत बढ़ी है।