गुरुपूर्णिमा व व्यास पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध है आषाढ़ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा
गुरुपूर्णिमा व व्यास पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध है आषाढ़ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा
P9bihar news
प्रमोद कुमार
मोतिहारी,पू०च०।
स्नान-दान और व्रत सहित गुरुपूर्णिमा का पुनीत पर्व 13 जुलाई बुधवार को मनाया जाएगा। आषाढ़ शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि गुरुपूर्णिमा व व्यास पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन अपने-अपने गुरु को भगवान के रूप में मानते हुए उनकी पूजा की जाती है,इसीलिए इसे गुरु पूजा का पर्व भी कहते हैं।
उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।उन्होंने बताया कि गुरुपूर्णिमा वह पर्व है,जब प्रत्येक शिष्य अपने प्राण-प्रिय पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में उपस्थित होकर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। यही है गुरु और शिष्य का पावन संबंध,जहाँ अन्य सभी संबंध न्यून एवं नगण्य हो जाते हैं,क्योंकि गुरु-शिष्य का मिलन वैसा ही है जैसे धरती और आकाश का मिलन हो,बूँद और समुद्र का मिलन हो।
हमारी संस्कृति में,समाज में एवं शास्त्रों में गुरु का गौरवपूर्ण स्थान प्राचीनकाल से ही वंदनीय रहा है। गुरु का गौरवगान करते हुए देवतुल्य माना गया है। प्राचीनकाल में जब बालक गुरुकुल में जाकर अपने पूज्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते थे तो सर्वप्रथम उनमें आस्था जागृत की जाती थी,क्योंकि जब तक आस्था नहीं तब तक उपलब्धि नहीं। अतः उपलब्धि के लिए लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गुरु के प्रति आस्थावान होना आवश्यक है।