राम के जन्मोत्सव का महिना चैत्र मास आदर्श संबंधों का अध्यात्मिक पक्ष अनुकरणीय

राम के जन्मोत्सव का महिना चैत्र मास आदर्श संबंधों का अध्यात्मिक पक्ष अनुकरणीय


सत्येन्द्र कुमार शर्मा,

प्रधान संपादक


पितृभक्ति,  मातृभक्ति, भातृप्रेम, जनकल्याण , रामराज्य की स्थापना, राजधर्म की प्रतिबद्धता, नारी अस्मिता के दोषी के प्रति कठोरता, दुष्टजनों के दलन , संतजन-साधुजन की रक्षा के प्रति तत्परता ,जीवन मूल्य के प्रति संवेदना, जाग्रत दुनियाँ में आशा का संचार करने वाले भगवान श्रीराम का रामनवमी का अवतरित होना और उनके आदर्श का अनुकरण व अनुसरण करना हमारे अध्यात्मिक गुरु से प्रदत्त ज्ञान का होना श्रेष्ठ माना जाता है।भगवान राम के जन्मोत्सव मास चैत्र में अक्सर चर्चा होती आई है।


                    इस वर्ष भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व रामनवमी को अपनी-अपनी परम्परा के अनुसार मनाया गया। 
दूसरी ओर इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा राम के आदर्श के गुणगान का ग्रंथ श्रीरामचरितमानस की रचना आरंभ की गई।फलतः श्रीरामचरितमानस की जयंती भी मनायी जाती है । 


           पौराणिक मान्यता के तहत त्रेतायुग में सरयू नदी के तट पर अवस्थित अयोध्या नगरी में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में जब सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे,तभी साक्षात् भगवान विष्णु ने राम के रूप में अयोध्या के राजा दशरथ तथा माता कौशल्या के यहाँ पुत्ररत्न के रूप में अवतार लिये। 


   सदाचार के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम को राम कहा जाता है।  उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। अजेय रावण के साथ परिवार के अत्याचारों का समूल नष्ट कर धर्म की पुर्नः स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने धरा मृत्युलोक में राम रूप में अवतार लिया। 


 भगवान श्रीराम की गुरु सेवा,जाति-पाति के भेदभाव को मिटाना,शरणागत की रक्षा,पत्नी का व्रत,पवनसुत हनुमान एवं अंगद की स्वामी भक्ति,गिद्धराज
 की कर्त्तव्यनिष्ठा की जो चर्चा की गई है वह अनुकरणीय व अनुसरणीय है।