टीबी मरीजों को पूरी दवा खाने की सीख देते हैं अरविंद

टीबी मरीजों को पूरी दवा खाने की सीख देते हैं अरविंद

टीबी मरीजों को पूरी दवा खाने की सीख देते हैं अरविंद

- 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने में निभा रहे हैं सक्रिय भूमिका


- जिला यक्ष्मा केंद्र में हैं कार्यरत, टीबी पर लोगों को करते है जागरूक सचेत

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी,

जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत अरविंद कुमार देश के साथ जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। अरविंद टीबी मरीजों के बीच दवा देने के साथ ही उन्हें कब किस समय कैसे दवा का सेवन करना है, इसकी पूरी जानकारी देने के साथ ही पूरी दवा का कोर्स करने की सीख देते हैं। वे जानते हैं कि टीबी की बीमारी में दवा बीच मे छोड़े जाने पर यह बीमारी और बढ़ जाता है साथ ही मरीज के लिए काफी कष्टदायक हो जाता है।

अरविंद कुमार ने बताया कि जिला यक्ष्मा केंद्र पर कई वर्षों से जिले के कई डों प्रखंडों के मरीज अपना कफ जाँच कराने व दवा लेने आतें हैं, ऐसे में  टीबी के मरीजों को दवाएँ उपलब्ध कराने के साथ ही नियमित तौर पर दवाओँ के सेवन की विधियां बताते हुए जागरूक करता हूँ। उन्होंने बताया कि एक स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते टीबी के बारे में जागरूकता फैलाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जिसे मैंने अपने जीवन में उतारा है। उन्होंने बताया कि टीबी एक आम बीमारी है जो किसी को भी हो सकता है, ऐसे में टीबी के मरीजों से भेदभाव नहीं करना चाहिए।

जांच में हुई हैं बढ़ोतरी, लोग हुए हैं जागरूक-

अरविंद कुमार ने बताया कि पहले लोग टीबी संक्रमित होते थे तो फैक्ट्रियों में मजदूरी करते हुए जाँच नहीं करवाते थे, उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता था, तब देर होने के बाद लोग सरकारी अस्पताल में दिखाने पर टीबी की पुष्टि होने पर इसका इलाज करवाते थे, परन्तु अब सरकार के अथक प्रयासों का फल देख रहे हैं कि लोग जागरूक होकर खुद से 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते ही जाँच करवाते हैं।

उन्होंने बताया कि टीबी से संक्रमित होने पर मुफ्त दवा देने के साथ सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना उन लोगों के लिए शुरू की है, इस योजना के तहत टीबी मरीजों को सरकार हर महीने 500 रूपये की आर्थिक सहायता देती है, जिससे टीबी मरीजों को अच्छा पोषण मिल सके।

लोगों को करते हैं जागरूक-

अरविंद कुमार ने जिला यक्ष्मा केंद्र के अलावा  अपने आस पड़ोस के लोगों को टीबी के लक्षणों, इलाज के विषय में जागरूक करते हैं। उनका मानना है कि शिक्षित लोग भी टीबी के लक्षण और इसके बचाव के बारे में जागरूक करने लगें तो इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी।