टीबी रोगी संघर्ष की कहानी लोगों को बताएं आएगी जागरूकता
टीबी रोगी संघर्ष की कहानी लोगों को बताएं आएगी जागरूकता
-मो. इलियास ने टीबी से जीती जंग, कहा- तकलीफ को बांट लिया जाए तो वह कम हो जाती है
P9bihar news
प्रमोद कुमार
शिवहर।
कहते हैं कि अगर दर्द या तकलीफ को बांट लिया जाए तो वह कम हो जाती है, लेकिन टीबी की बीमारी के साथ ऐसा नहीं है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो परिवार के बुरे बर्ताव, शादी टूटने, लोगों के दूरी बनाने, समाज में घृणा जैसे डर की वजह से टीबी की बीमारी के बारे में बात नहीं करते हैं। लोग टीबी की बीमारी को छुपाना ज्यादा सही समझते हैं। यह गलत है। पर मो. इलियास के मामले में ऐसा नहीं है।
टीबी चैंपियन 15 वर्षीय इलियास टीबी से अपने संघर्ष की कहानी लोगों के साथ साझा करने के लिए खुलकर सामने आये। विसम्भरपुर के रहने इलियास बताते हैं कि 2020 जनवरी में पता चला कि उन्हें टीबी की बीमारी है। इस जानकारी से परिवार का हर सदस्य सन्न रह गया। हालांकि, इलियास ने ये जानने के बाद भी उम्मीद नहीं छोड़ी। लगातार पॉजिटिव सोच की वजह से उन्हें इस बीमारी से लड़ने में मदद और ताकत मिली। इलियास ने बताया कि टीबी का इलाज सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है, इसलिए इस बीमारी को छिपायें नहीं।
इलियास कहते हैं, समाज में टीबी रोगियों से भेदभाव नहीं होना चाहिए, इससे उनका मनोबल टूटता है।इलियास बताते हैं कि शुरूआत में सब ठीक था, लेकिन एक दिन अचानक खांसते समय उलटी आ गया। परिजन तुरंत उन्हें प्राइवेट अस्पताल ले गए। लेकिन सुधार नहीं हुआ। फिर वे सरकारी अस्पताल गए, टेस्ट के बाद पता चला कि उनको टीबी हो गया है। इलियास के मुताबिक, तय समय पर दवा लेने और स्वास्थ्य संबंधी डॉक्टरों के अन्य सभी दिशा-निर्देशों का पालन पूरी तरह से किया। जिसकी बदौलत उन्होंने 26 महीने के अंदर ही टीबी पर जीत दर्ज कर ली। उन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज कराया।
इलियास ने बताया कि उन्हें इस बीमारी से उबरने में डॉक्टरों के साथ-साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। इलियास की मां हसीना खातून ने कहा कि अब अब उनका बेटा पूरी तरह से स्वस्थ है।जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने कहा कि समाज के लिए इलियास की यह सोच काबिले-तारीफ है। इससे समाज में जागरूकता आएगी। उन्होंने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए जन आंदोलन के रूप में व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है।
टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार की राशि भी दी जाती है।जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस सुधांशु शेखर रौशन ने कहा कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर बलगम की जांच जरूर कराएं तथा एक्स-रे कराएं। चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें। टीबी के इलाज के लिए आपके टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के डॉट्स सेंटर पर जाकर निःशुल्क दवाएं लें। टीबी की दवा का पूरा कोर्स खाएं और समय पर दवा लें। जब तक डॉक्टर न कहे तब तक दवा बंद नहीं करें। संतुलित आहार के साथ योग व व्यायाम करते रहें।