श्रृष्टि के शुभारंभ से निरंतर हरतालिका तीज व्रत का अनुष्ठान

श्रृष्टि के शुभारंभ से निरंतर हरतालिका तीज व्रत का अनुष्ठान

श्रृष्टि के शुभारंभ से निरंतर हरतालिका तीज व्रत का अनुष्ठान

P9bihar news 


सत्येेन्द्र कुमार शर्मा

श्रृष्टि के शुभारंभ से महिलाएं-कन्याओं द्वारा हरतालिका व्रत अनुष्ठान की शुरुआत की गई हैं जो अब तक निरंतर किया जा रहा है।हरतालिका तीज का पौराणिक कथाओं में महत्व माता पार्वती के कठोर तप से जुड़ा है।हरतालिका तीज के मौके पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने की परंपरा रहा है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत किया था।इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है।जबकि कुंवारी कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।

हरतालिका तीज व्रत का पूजा अर्चना

हरतालिका तीज व्रत का हिन्दु धर्म में पौराणिक काल से बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।इस बार हरतालिका तीज मंगलवार, 30 अगस्त 2022 को मनाया गया।आज महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखी जबकि लड़कियां इस दिन अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखी।


 मान्यता के अनुसार महिलाएं अगर इस दिन सच्चे मन से व्रत रखती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती ,भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना की गई। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत किया था।

हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व

 हरतालिका तीज का पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के लिए मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए।एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के लिए विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो वे विलाप करने लगी।

एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं।इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भगवान भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया।

माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त 

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार, 29 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी मंगलवार, 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। हरतालिका तीज के दिन सुबह 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 8 बजकर 38 मिनट तक और शाम 06 बजकर 33 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।