टीबी से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत का संदेश दे रहे प्रमोद पटेल

टीबी से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत का संदेश दे रहे प्रमोद पटेल

- 15 साल पहले टीबी ने लिया था गिरफ्त में, ठीक हुए तो टीबी चैंपियन बन समाज में जागरूकता फैलाने लगे

प्रमोद कुमार 

सीतामढ़ी, 29 अप्रैल।
टीबी से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सामुदायिक भागीदारी से ही भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं जिला के टीबी चैंपियन प्रमोद कुमार पटेल।

15 साल पहले टीबी से ग्रसित हुए और जिंदगी से निराश हो गए, लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी मुक्त कर लिया। उस वक्त उन्होंने टीबी मरीजों का दर्द देख और सुनकर संकल्प लिया कि मैं बच गया अब दूसरों को भी मरने नहीं दूंगा।

इसके बाद से वह टीबी मरीजों के बीच काम करने लगे। वे चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए दूसरे लोग भी इससे निजात पाएं। उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन के नाम से सम्मानित किया। 

पहले हंसते थे, अब सलाह लेते हैं :

डुमरा प्रखंड के पुनौरा के रहने वाले प्रमोद कुमार पटेल कहते हैं कि शुरुआती दौर में उनके काम पर लोग हंसते थे, लेकिन अब सलाह लेने आते हैं। उनके इलाके में कोई भी टीबी का मरीज पता चलता है तो उसके घर पहुंच जाते हैं। परिजनों को समझाते हैं। खुद का उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि दवा खाना नहीं छोड़ना है। बताते हैं कि टीबी ग्रसित मरीज के परिवारजनों को भी समझाना पड़ता है। क्योंकि ज्यादातर परिवार के ही लोग मरीज का साथ नहीं देते हैं। डर की वजह से उसे अलग कर देते हैं। वे आंगनबाड़ी केंद्रों, विद्यालयों आदि में जाकर लोगों को टीबी से बचने और इसके उपचार के लिए बताते हैं। 

व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा :

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि प्रमोद कुमार पटेल लोगों को जागरूक कर टीबी से बचाव का संदेश दे रहे हैं। समाज के लिए उनकी यह कोशिश काबिलेतारीफ है। इससे समाज में जागरूकता आएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए जन आंदोलन के रूप में व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार की राशि दी जाती है।

बचाव के लिए जरूर करें यह काम:

दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर बलगम की जांच कराएं, एक्स-रे कराएं, चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें। टीबी के इलाज के लिए आपके टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के डाद्स  सेंटर पर जाकर निशुल्क दवाएं लें। टीबी का पूरा कोर्स करें और समय पर दवा लें। जब तक डॉक्टर न कहे तब तक दवा बंद न करें। संतुलित आहार में योग व व्यायाम करते रहें।