नीतीश कुमार के नौवीं बार शपथ लेने के साथ राजनीतिक पतन शुरू 

नीतीश कुमार के नौवीं बार शपथ लेने के साथ राजनीतिक पतन शुरू 

नीतीश कुमार के नौवीं बार शपथ लेने के साथ राजनीतिक पतन शुरू 

P9bihar news 

मुरारी स्वामी

नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनकर नीतीश कुमार ने एक नया इतिहास रच दिया है।बिहार के चतुर्मुखी शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली पहुंचाने व क्षेत्र का विकास करने में नीतीश कुमार का काफी योगदान रहा है । नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद को लेकर एक बार नरेंद्र मोदी, बीजेपी तो दूसरी बार कांग्रेस महागठबंध से नाता तोड़ लिए है।

कंग्रेस में पीएम बनने की थोड़ी गुंजाइश थी परंतु बीजेपी में अब उन्हें कोई खास लाभ प्राप्त नहीं होने वाला है।अगर नीतीश कुमार विपक्ष में रहते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छी चुनौती दे सकते थे। नीतीश कुमार के हाथ में जाति जनगणना और चार लाख सरकारी नौकरी देने का कार्य किया था। वे अगर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ रह कर लाभ ले सकते थे लेकिन अब वह लाभ मिलने का आसार कम हो गया हैं

चुकी इस कार्य में राजद का योगदान भी अहम मायने रखता है। इस लाभ को चुनावी मुद्दा के रूप में प्रयोग करती तो बीजेपी को काफी क्षति पहुंचाई जा सकती थी।देश में एक मात्र मोदी को खुल कर चुनौती देने और सभी विपक्ष को एकजुट करने वाले एक मात्र नेता नीतीश कुमार अपने आप को दर्शाते रहे हैं।बीजेपी जानती थी कि केवल राम मंदिर निर्माण एवं प्राण-प्रतिष्ठा से लोकसभा चुनाव नही जीता जा सकता था।

महागठबंधन की जाति आधारित जनगणना मुद्दा देश के सभी पिछड़ा , अति पिछड़ा दलित महादलित अल्प संख्यक को एक साथ ला मोदी सरकार के लिए खतरा बन सकती है।इसलिए बीजेपी की तरफ से नीतीश कुमार को खुद में शामिल कर लिया गया। अब विपक्ष से मोदी का रास्ता साफ है।बार-बार इधर से उधर पलटी करने के कारण उनका राजनीतिक भविष्य धीरे-धीरे समाप्ति की ओर जा रहा है।

आने वाले समय में पब्लिक का भरोसा उन पर से उठ जाएगा और उनका राजनीतिक कैरियर पार्टी सहित धीरे-धीरे समाप्त हो सकता है। वैसे तो बीजेपी और जदयू की गठबंधन में बनी सरकार ने बिहार विकास के लिए काफी योगदान किया है। लेकिन लोगों का आमतौर पर नीतीश कुमार का राजनीतिक पतन भी शुरू हो गया कहा जाने लगा है।


संत मुरारी स्वामी , सराय बक्स, गड़खा,सारण द्वारा दिया गया व्यक्तिगत मंतव्य उन्हीं के शब्दों में प्रसारित किया जा रहा है।