राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी विचारधारा के एक मात्र स्तंभ शरद के निधन पर शोक

राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी विचारधारा के एक मात्र स्तंभ शरद के निधन पर शोक

राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी विचारधारा के एक मात्र स्तंभ शरद के निधन पर शोक

सत्येन्द्र कुमार शर्मा


उपेंद्र कुशवाहा ने लालू और पर साधा निशाना साधते हुए कहा हैं कि अंतिम समय में शरद यादव को कोई याद नहीं कर रहा था। बिहार की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाले एवं यादव कार्ड खेलने वाले राजनेता का देश की राजधानी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उसके बाद बिहार की राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। बिहार के तमाम छोटे-बड़े नेता इनको याद कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

इसी कड़ी में अब जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी इनके निधन पर शोक अर्पित करते हुए पार्टी के नेताओं पर इशारों ही इशारों में बड़ा आरोप लगाया है। जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि, शरद यादव के निधन की खबर रात में ही मिली उससे वे बेहद ही दुखित हुए है। उनके निधन से इतना बड़ा नुकसान हुआ है इतनी बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कोई भी नहीं कर सकता है। शरद यादव देश में सामाजिक न्याय के एक केंद्र बन गए थे। इनके अलावा कोई दूसरा केंद्र ही नहीं बचा था।

दिल्ली से यही निर्देश देते थे तो सामाजिक न्याय की गतिविधि चलती थी। आज उनके जाने के बाद वह सेंटर ही समाप्त हो गया है ।इससे बड़ा नुकसान कुछ नहीं हो सकता है।उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह जीवन भर दलितों के लिए वंचितों के लिए संघर्ष करते रहे।लेकिन उनका अंत जिस रूप में हुआ वे हाल के दिनों में जिस तरह से मानसिक स्थिति उनकी बन गई थी वह बहुत ही दुखद स्थिति थी भगवान ना करे कि इस तरह का अंत किसी को मिले। इसका कारण है कि राजनीतिक रूप से उन्होंने जिन लोगों को संघर्ष कर बढ़ाया वैसे लोग ही उनसे अंतिम समय में बात करना छोड़ दिए थे।

कुशवाहा ने कहा कि, शरद यादव इस बात से हमेशा परेशान रहते थे कि, पिछले कुछ दिनों से उनका समाचार लेने वाला कोई नहीं रहा है। कुशवाहा ने इशारों-इशारों में अपने ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधा है। गौरतलब हो कि, शरद यादव पिछले कई दिनों से बीमार थे। शरद यादव गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे।

बीते रात जब उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस लिया। इनका जन्म 1 जुलाई 1947 को हुआ था। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी सुभाषिनी ने यादव ने फेसबुक पेज पर दी थी। शरद यादव डॉक्टर लोहिया के आदर्शों से बहुत प्रेरित थे।