चमकी बुखार एवं जेई के प्रति समुदाय जागरूकता हेतु अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करें:-- राजेश मीना, डीएम

चमकी बुखार एवं जेई के प्रति समुदाय जागरूकता हेतु अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करें:-- राजेश मीना, डीएम

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण  :- अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित कर चमकी बुखार और जेई के प्रति समुदाय को करें जागरूक करें।जिलाधिकारी सारण द्वारा बैठक में कही गई।
डीएम की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित किया गया।
ईमानदारीपूर्वक सभी विभाग अपने कर्तव्यों का पालन करें।
चमकी बुखार और जेई से निपटने के लिए आवश्यक तैयारी करने का निर्देश दिया गया।
सदर अस्पताल समेत सभी पीएचसी में वार्ड बनाया गया।

छपरा जिले में चमकी बुखार की रोकथाम और जागरूकता को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। शनिवार को सारण समाहरणालय सभागार में जिलाधिकारी राजेश मीणा की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गयी। बैठक में एईएस, चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर गहन विचार विमर्श किये गए।

इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह के द्वारा पीपीटी के माध्यम से चमकी बुखार और जेई से निपटने को लेकर की गयी तैयारियों और प्लान के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्होने बताया कि चमकी बुचार और जेई के बेहतर प्रबंधन के लिए जिले के 28 मेडिकल आफिसर और 1000 आशा कार्यकर्ताओं तथा 82 एंबुलेंस इएमटी का क्षमतावर्धन किया गया है। इसके साथ हीं जिला एवं प्रखंड स्तर पर बेड की उपलब्धता और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कर ली गयी है।

इसके साथ हीं प्रखंड स्तर पर विभिन्न विभागों के साथ बैठक आयोजित की जा चुकी है। सदर अस्पताल में 10 बेड का पीकू वार्ड तथा सभी प्रखंडों के पीएचएसी और सीएचसी में दो-दो बेड का एईएस और जेई वार्ड बनाया गया है। सभी वार्ड में रोस्टरवार चिकित्सकों और स्टाफ की प्रतिनियुक्ति की जा चुकी है।

किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए विभाग पूरी तरह से तैयार है। इस दौरान जिलाधिकारी के द्वारा नियमित टीकाकरण के तहत चलने वाले सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान की समीक्षा की गयी तथा अभियान के दौरान शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया।

बैठक में उप विकास आयुक्त अमित कुमार, सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी,जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी कन्हैया कुमार, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चंदेश्वर सिंह, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीपीओ आईसीडीएस, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ. रंजितेश कुमार, केयर इंडिया के डीटीएल संजय कुमार विश्वास, यूनिसेफ एसएमसी आरती त्रिपाठी समेत अन्य विभागों के पदाधिकारी शामिल थे। 

सामूहिक सहभागिता सुनिश्चित कर लोगों को करें जागरूक: 
जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा कि चमकी बुखार में समय सबसे महत्वपूर्ण है। अगर समय से इसकी जानकारी मिल जाए तो इसका इलाज बिलकुल संभव है। इसके लिए सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाये।

डीएम ने कहा कि इसके लिए जिला एवं प्रखंड स्तर पर नियंत्रण कक्ष की स्थापना सुनिश्चित करें। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शिक्षा विभाग के चमकी बुखार से संबंधित 2500 लीफ्लेट तथा 2500 बुकलेट वहीं आईसीडीएस को 2500 लीफ्लेट और 2500  बुकलेट उपलब्ध कराया गया है।

पोस्टर और बुकलेट के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को इसके प्रति जागरूक करें। जागरूकता अभियान से संबंधित तस्वीर भी प्रशासनिक वाट्सएप ग्रुप में शेयर करें। डीएम ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ जीविका, ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज, समाज कल्याण विभाग, परिवहन विभाग समेत सभी सहयोगी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से जागरूकता अभियान चलायें। विशेषकर महादलित टोला में इसकी रोकथाम के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। 

स्कूलों में होगी वाल पेंटिंग:
जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा कि चमकी बुखार और जेई के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए जिले के सभी सरकारी स्कूलों में वालपेंटिंग करायी जाये। इसके साथ स्कूली बच्चों को चमकी बुखार से बचाव के प्रति जागरूक किया जाये। शिक्षक अभिभावक की बैठक में भी चमकी बुखार और जेई पर चर्चा की जाये।

 चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करें। पहला खिलाओ, दूसरा जगाओ और तीसरा अस्पताल ले जाओ। इसी के तहत बच्चों को रात में बिना खिलाए नहीं सुलाने, सुबह में जगाने और लक्षण महसूस होने पर तुरंत स्थानीय और नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान ले जाने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करें। 

ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।