16 दिनों तक महिला सशक्तिकरण की चलेगी बयार, महिला हिंसा पर होगा प्रहार

16 दिनों तक महिला सशक्तिकरण की चलेगी बयार, महिला हिंसा पर होगा प्रहार

16 दिनों तक महिला सशक्तिकरण की चलेगी बयार, महिला हिंसा पर होगा प्रहार


25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक चलेगा पखवाड़ा
• 16 दिनों तक अलग-अलग गतिविधियों का होगा आयोजन 
• सहयोगी संस्था ने किया पखवाड़े की शुरुआत 
• 200 से अधिक लोग कार्यक्रम में हुए शामिल 

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

पटना: दानापुर प्रखंड में शुक्रवार को महिला सशक्तिकरण को लेकर 16 दिनों तक चलने वाले अभियान की शुरुआत हुयी. सहयोगी संस्था के सहयोग से मठियापुर काली मंदिर से हथियाकांध पंचायत भवन तक महिलाओं,किशोरियों, आशा कार्यकताओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ शिक्षिकाओं ने मार्च निकाला. जिसमें 200 से अधिक महिलाओं एवं कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया. मार्च के दौरान महिलाओं ने ‘‘महिला हिंसा कभी नहीं, कहीं नहीं’’, ‘

‘हिंसा हमें मंजूर नहीं’’, ‘‘मैं भी छू सकती हूं आकाश, मौके की है मुझे तलाश’’ एवं ‘‘बंधन तोड़ो चुप्पी तोड़ो’’ जैसे नारे लगाए.  यह अभियान 25 नवम्बर से शुरू होकर आगामी 10 अक्टूबर यानी मानव अधिकार दिवस तक चलेगा. विश्व भर में 25 नवम्बर अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

16 दिवसीय अभियान में अधिक से अधिक महिलाओं को जागरूक करना उद्देश्य

सहयोगी संस्था की निदेशिका रजनी ने बताया कि 16 दिवसीय अभियान  में अधिक से अधिक महिलाओं को शमिल कर उन्हें महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव पर जागरूक किया जाएगा. साथ ही इस दौरान सहयोगी संस्था विभिन्न प्रकार के गतिविधियों के आयोजन पर भी बल देगी. जिसमें लेखन, रैली, पेंटिंग कम्पटीशन, विचार विमर्श, पुलिस उन्मुखीकरण जैसे आयोजन शामिल होंगे. इन गतिविधियों के जरिए महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए महिला हिंसा एवं लिंग आधारित भेदभाव जैसी बुनियादी चुनौतियों को खत्म करने पर बल दिया जाएगा.

प्रत्येक तीन महिला में एक महिला होती है हिंसा की शिकार: 

रजनी ने बताया कि महिलाओं एवं लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का स्वरुप काफ़ी व्यापक है. यही वजह है कि विश्व भर में प्रत्येक तीन महिला में एक महिला कहीं न कहीं हिंसा की शिकार होती है. यह बहुत ही चिंता का विषय है कि महिला हिंसा के कई मामले प्रतिष्ठा, चुप्पी, कलंकम शर्म एवं डर के कारण रिपोर्ट ही नहीं होती है. उन्होंने कहा कि हिंसा को सामन्यता लोग शारीरिक हिंसा तक ही सीमित मनाते हैं. जबकि मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, संवेदनात्मक कष्ट एवं यौन हिंसा जैसे मामलों की संख्या बहुत अधिक है. 

कोविड के बाद यौन हिंसा में 5 गुना की हुयी है वृद्धि: 
रजनी ने बताया कि वैश्विक स्तर पर 35% महिलाओं ने कभी न कभी अपने जीवन साथी या गैर जीवन साथी के द्वारा यौन हिंसा का अनुभव किया है. कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से यौन हिंसा में वृद्धि दर्ज हुयी है. कोविड के बाद यौन हिंसा के मामलों में 5 गुना की वृद्धि हुयी है.वहीं, अगर महिला पर होने वाले अत्याचार की बात करें तो प्रतिदिन विश्वभर में 137 महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा मार दिया जाता है.

हिंसा का अनुभव करने वाली 40 फीसदी से कम महिलाएं ही किसी तरह की मदद ले पाती हैं. अगर अपने देश की बात करें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो( एनसीआरबी) के आंकड़ों में भी प्रति वर्ष वृद्धि ही देखी जाती है. इन अपराधों में घरेलू हिंसा, मारपीट, दहेज़ प्रताड़ना, एसिड हमला एवं कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार जैसे मामले शामिल होते हैं.