तेज धूप और भीषण गर्मी से लोग परेशान बारिश के अभाव में खेती-बाड़ी ठप

तेज धूप और भीषण गर्मी से लोग परेशान, बारिश के अभाव में खेती-बाड़ी ठप

तेज धूप और भीषण गर्मी से लोग परेशान बारिश के अभाव में खेती-बाड़ी ठप

बैजू कुमार साह

, मशरक, सारण:- जेष्ठ का महीना आखरी दौड़ में है। लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे है। लेकिन बारिश होने का अनुमान भी नहीं लग रहा है।इस बीच तपती दोपहरी में भीषण गर्मी,गर्म हवा के थपेड़ो और चिलचिलाती धूप की वजह से लोगों का जिना मुहाल हो गया है। सूर्योदय के साथ ही दिन में जो गरमाहट शुरू हो रहा है।

उसका असर देर रात्रि तक भी जारी रह रहा है जो आम लोगों को परेशानी का सबब बना हुआ है। आलम यह है की पूर्वाहन दस बजे के बाद से ही लोग घर से बाहर निकलने से गुरेज कर रहे है।हालांकि कामकाजी महिलाओ और पुरुषो को मज़बूरी में अपने गंतब्य तक जाना आना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी मजदूर वर्ग के लोगो को उठानी पड़ रही है।

जिन्हें अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिये मजबूरन धूप की परवाह किये बगैर कार्य में लगे रहना पड़ रहा है।इधर भीषण गर्मी को देखते हुए एसी, कूलर और पंखे की डिमांड काफी बढ़ गई है। जिसको देखते हुए इन वस्तुओं का मूल्य भी तेज हो गया है। बावजूद इसके इलेक्ट्रोनिक दुकानों पर खरीददारी को लेकर ग्राहकों की काफी भीड़ जुट रही है।


गर्मी को देखते हुए पेय पदार्थो और रसदार फलो की भी बिक्री बढ़ गई है।
तापमान बढ़ने के साथ ही गर्मी से निजात पाने के लिये मौसमी फलों मसलन तरबूज, खीरा, ककड़ी, आम आदि मौसमी फलों की माँग बढ़ गई है। अन्य फलों की तुलना में इन फलो की बिक्री जोरो पर है।जिससे स्थानीय स्तर पर फलो की खेती करने वाले लोगो को अच्छी आमदनी हो रही है। वहीं इन फलों के सेवन से आमलोगो को गर्मी से थोड़ी संतुष्टी मिल रही है। इधर चने के सत्तू, गन्ने का रस, कोल्ड ड्रिंक्स आदि को भी लोग पेय पदार्थ के रूप में काफी पसंद कर रहे है।


गर्मी के कारण किसानों की खेती पिछड़ रही है।किसानों की बात माने तो अब-तक बारिश नहीं होने से खेती का कार्य पिछड़ रहा है। मौसम प्रतिकूल होने की वजह से खरीफ की प्रमुख फसल धान के लिये अब-तक बिचड़ा डालने का कार्य शुरू नहीं हो सका है। जबकि बिचड़ा डालने का उपयुक्त समय निकला जा रहा है।

वहीं नमी के अभाव में खेत की जुताई नहीं होने से खेतों में खरपतवार का अंबार लगा है। मौसम की तल्खी को देख किसान भाई बिचड़ा डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है।ऐसे में सभी किसान मानसून आने का इंतजार कर रहे है।