प्रखंड स्तर पर हाथीपॉंव मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण

प्रखंड स्तर पर हाथीपॉंव मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण

प्रखंड स्तर पर हाथीपॉंव मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण

प्रखंड स्तर पर कैम्प लगाकर किट बाँटी जाएगी।


•प्रत्येक प्रखंड को किट आवंटित की गयी है।

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- हाथीपाँव के मरीजों के बीच एमएमडीपी किट वितरित किया जाएगा।फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है। एक बार किसी को हो जाए तो यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती। ऐसे में जरूरत है थोड़ी सी सावधानी बरतने की। इसके लिए सरकार प्रत्येक वर्ष नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से फाइलेरिया की जांच कर एमडीए अभियान चलाती है, ताकि फाइलेरिया बीमारी को रोका जा सके। साथ ही फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज कराया जाए जिससे फाईलेरिया पीड़ित लोगों को राहत मिल सके।

इसके लिए सरकार निःशुल्क परामर्श के साथ-साथ निःशुल्क एमएमडीपी किट उपलब्ध कराती है जो फाइलेरिया विभाग द्वारा लोगों को मुहैया कराई जाती है।   हाथीपांव से पीड़ित लोगों के लिए विभाग द्वारा एमएमडीपी किट उपलब्ध करा दी गई है।  जिला फाइलेरिया विभाग द्वारा विभिन्न प्रखंड स्वास्थ्य केंद्रों को फाइलेरिया किट वितरित की जा रही है। जिला फाइलेरिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिला फाइलेरिया विभाग को 5000 किट उपलब्ध करायी गयी है।

प्रखंड स्तर पर किट का किया जाएगा वितरण-

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिले में काफ़ी संख्या में हाथीपांव के मरीज हैं। जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रसित अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में प्रभावित अंगों की सफाई रखना बेहद जरूरी होता है। ऐसे मरीजों को किट दी जा रही है। किट में प्रभावित अंगों की अच्छी तरह से साफ-सफाई को लेकर टब, मग, तौलिया, साबुन, गरम पट्टी व जरूरी चीजें दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि किट की उपलब्धता के अनुसार जिले के सभी प्रखंडों को वितरित की  जा रही है।

फाइलेरिया का नहीं है इलाज, बरतें सावधानी-

डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इस रोग का लक्षण 10 से 12 वर्ष के बाद दिखाई देता है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। उन्होंने बताया की इस बीमारी की पहचान रात्रि में लिए गए ब्लड सैंपल के माध्यम से होती है।