स्वास्थ्य विभाग की विशेष पहल पर सदर अस्पताल में “एनीमिया क्लिनिक

स्वास्थ्य विभाग की विशेष पहल पर सदर अस्पताल में “एनीमिया क्लिनिक

स्वास्थ्य विभाग की विशेष पहल पर सदर अस्पताल में “एनीमिया क्लिनिक

सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण :-
एनीमिया से ग्रसित महिलाओं और किशोरियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।ओपीडी वार्ड में क्लिनिक बनेगा।विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ नर्स की निगरानी में उपचार होगा।

 सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा  तथा इसकी  गुणवत्ता पर विशेष फोकस किया जा रहा है। एनीमिया से ग्रसित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विशेष पहल की गयी है। अब सदर अस्पताल के ओपीडी में एनी मिया क्लिनिक की स्थापना की जायेगी। इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है।

एनीमिया क्लिनिक में विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ नर्स की ड्यूटी लगायी जायेगी। यह क्लिनिक दो बेड का होगा। जहां पर एनी मिक महिलाओं का बेहतर इलाज हो सकेगा। ही मोग्लोबिन 6 से ऊपर  तक की  महिलाओं को ट्रीटमेंट के माध्यम से  ठीक किया जायेगा। आयरन सूक्रोज देकर महिलाओं का इलाज किया जायेगा। एनीमिया एक ऐसी बीमारी है, जो किसी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है।

आज के परिवेश में अनियमित और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक आहार के कारण लोग एनीमिया से ग्रसित हो रहे हैं । यहां तक की अब बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ किशोर-किशोरियों में भी एनीमिया के लक्षण दिखने को मिल रहे हैं। एनीमिया होने का सबसे मुख्य और बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी होना है। इससे बचाव के लिए उचित पोषण  बेहद जरूरी है।

शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है एनीमिया:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सबसे कामन एनीमिया शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है। शरीर को हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है।

पर्याप्त आयरन के बिना, शरीर लाल रक्त कोशिकाओं के लिए पर्याप्त हीमोग्लोबिन प्रोड्यूस नहीं कर सकता, खून की कमी की पूर्ति के लिए सामान्य रूप से मुनगे की भाजी, लाल भाजी व पालक आदि लिया जा सकता है जो बाजार  में सामान्यतः आसानी से उपलब्ध होते हैं।

क्या है आंकड़ा: 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 वर्ष 2019-20 के अनुसार सारण जिले में 15 से 49 आयु वर्ग की 62.8 प्रतिशत महिलाएं एनी मिया से ग्रसित हैं । वहीं 59.1 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं  । 

खून की कमी के संकेत:

• कमजोरी, थकान महसूस होना
• दिल की धड़कन का असामान्य महसूस होना 
• त्वचा का पीला पड़ना
• त्वचा का सफेद दिखना
• जीभ, नाखूनों के अंदर सफेदी
• चेहरे या पैरों पर सूजन दिखाई देना
• सांस लेने में दिक्कत होना
• सिरदर्द होना और ये समस्या बढ़ना
• तेज चक्कर आना