त्रेता-द्वापर से विश्व के मानचित्र पर बिहार के विविधताओं की अमीट पहचान
सत्येन्द्र कुमार शर्मा
बिहार की धरती बौद्ध-जैन-सनातन धर्मों की जननी का गणराज्य रहा है।
बिहार के धरती पुत्रों द्वारा हमेशा कालांतर में विश्व को एक नई दिशा और उर्जा देने का काम किया है जो आज भी अमीट बना हुआ है।
बौद्ध धर्म के अनुयायी प्रायः विश्व के हर कोने में है और बौद्ध धर्म के जनक महात्मा बुद्ध की जननी होने का गौरव प्राप्त है।
बिहार के चाणक्य का नीति, आर्यभट्ट का आविष्कार अहम रहा है।
बिहार को महावीर के तपस्या स्थली के रूप में जाना जाता है। तो वहीं महात्मा बुद्ध का अवतारीत होने का गौरव हासिल किया है।
रामायण ग्रंथ की सीता एक आदर्श नारी की जन्मभुमि के रूप में जाना जाता है। महान कवि विद्यापति जैसे विद्वान का जन्मस्थली एवं कार्रस्थली रहा है।
राजा जनक की नगरी के साथ विश्व की अनोखी नदियों में माँ गंगा बिहार होकर गुजरती है जिससे बिहार का श्रंगार हो जाता है।
भारत के महान शासकों में मौर्य वंश चंद्रगुप्त का साहस और अशोक की तलवार का बखूबी से सभी भिज्ञ है। शासकों में बिंदुसार के शासन और मगध साम्राज्य रहा है।
आधुनिक युग के कवि में रामधारी सिंह दिनकर की कविता लेखिका रेणु का सांसार रहा है। प्राचिन विश्वविद्यालय नालंदा का खंडहर आज भी दृश्यमान है तो तक्षशिला स्मरणीय हैं। पर्वतों में मन्धार की चर्चा भी की जाती है।
वाल्मिकी का रामायण , मिथिला का संस्कार ,पाणिनी का व्याकरण और ज्ञान का भण्डार रहा है।
लोकतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद का जन्मस्थली के साथ महात्मा गांधी का हुंकार स्थली रहा है।
गुरु गोविंद सिंह के तेज विर कुंवर सिंह की ललकार की गाथाएं बिहार में ही रहा है।
अर्थात बिहार की भूमि वीरों, विद्वानों, महापुरुषों और लोकतंत्र की जननी के रूप में पहचान रहा है। 'बिहार दिवस' पर बिहार की गाथाएं चहुंओर अमिट बनाने वाले महान आत्मा को कोटि-कोटि नमण करना,उनके आदर्शों को अनुकरण करना और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आप सबों से गुजारिश करना लाजिमी है ।