टेली आईसीयू काउंसिलिंग में सीधे एम्स से मिलेगी विशेषज्ञों की सलाह 

टेली आईसीयू काउंसिलिंग में सीधे एम्स से मिलेगी विशेषज्ञों की सलाह 

- पीकू वार्ड में अतिगंभीर बच्चों का होगा उपचार 
-  स्वास्थ्यकर्मियों को मिला एक दिवसीय प्रशिक्षण

प्रमोद कुमार 

मुजफ्फरपुर, 25 अप्रैल ।
एईएस से प्रभावित बच्चों के उचित प्रबंधन, पीकू तथा एईएस वार्ड में  टेली आईसीयू की सुविधा को सुचारु बनाने के उद्देश्य से सोमवार को सदर अस्पताल स्थित एमसीएच में स्वास्थ्यकर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। कुल 36 स्वास्थ्यकर्मियों को यह प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें चिकित्सक, स्टॉफ नर्स और लैब टेक्नीशियन शामिल थे।

प्रशिक्षण के आरंभ में जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण एईएस उपचार में प्रशिक्षणार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। जिससे मरीजों की गंभीर परिस्थितियों पर उपचार में स्वास्थ्यकर्मियों को आसानी होगी। रोगों का उपचार आसान होगा। 


अतिगंभीर बीमार बच्चों का भी होगा उपचार :
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश ने कहा कि मालूम हो कि सदर अस्पताल में 10 बेड का पीकू तथा 10 बेड का एईएस वार्ड बनाया गया है। जिसमें जल्द ही टेली आईसीयू सेवा प्रारंभ की जाएगी। पीकू सह एईएस वार्ड में एईएस मरीज के साथ 1 माह से 12 वर्ष तक के अतिगंभीर बीमार बच्चों का उपचार एवं देखभाल की जाएगी। जिससे इस उम्र वाले बच्चों को पीकू में भर्ती कर अविलंब त्वरित उपचार कर बच्चों की मृत्यु होने से बचाया जा सके। 
एम्स से सीधे मिलेगी सलाह :
स्वास्थ्यकर्मियों को यह प्रशिक्षण केयर के स्टेट से आए डॉ नीरज, डॉ अविनाश और डॉ हरेनी ने दिया। डॉ नीरज ने बताया कि यह प्रशिक्षण पाने के बाद स्वास्थ्यकर्मी जिसमें शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक, स्टॉफ नर्स और लैब टेक्नीशियन शामिल हैं, वह एईएस मरीज तथा अतिगंभीर  बच्चों के क्लीनिकल पार्ट पर समृद्ध होंगे। टेली आईसीयू काउंसिलिंग में वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना से पीडियाट्रिक्स टेली आईसीयू काउंसिलिंग सेवा से अपने को जोड़ सकेंगे तथा गंभीर स्थितियों पर विशेषज्ञों की सलाह ले पाएगें। 


हालत स्थिर कर ही करें रेफर: 
प्रशिक्षण के दौरान डॉ सतीश ने कहा कि एईएस से ग्रसित बच्चों को एसओपी के अनुसार तुरंत ही उपचार प्रारंभ कर दें। अगर कोई बच्चा अतिगंभीर स्थिति में है तो टेली आईसीयू काउंसिलिंग की मदद ली जाए। विषम परिस्थियों में ही कहीं और रेफर किया जाय। वहीं ये भी ध्यान में रखा जाय कि रेफर के दौरान भी उसे लाइफ सर्पोटिंग उपकरण मिलते रहें।

इसके अलावा जो भी मरीज के परिजन आते हैं उन्हें एईएस पर जागरुक करना है। मौके पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार, प्रशिक्षक डॉ नीरज, डॉ अविनाश, डॉ हरेनी, केयर डीटीएल सौरभ तिवारी, केयर के नसीरुल होदा सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।