प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से अलग होने की बताई वजह, बोले-2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से अलग होने की बताई वजह, बोले-2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से अलग होने की बताई वजह, बोले-2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 
बेगूसराय। बिहार में बहार बा, नीतीशे कुमार बा… का स्लोगन 2014 में देने वाले प्रशांत किशोर आज नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर हैं। बेगूसराय में पूछे गए इस सवाल पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 में मैंने नीतीश कुमार के लिए प्रचार किया, उन्हें जीताने में कंधा लगाया और मदद भी की।

2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। प्रशासक के तौर पर, नेता के तौर पर और मानवता के आधार पर। 2014-15 में जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी उन्हीं नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 से लेकर 2012-13 में बिहार में विकास होते हुए दिखा था। ये बात बताता है कि हमें बिहार में राजनीति करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

मैं तो ये चाहता था कि उनके नेतृत्व में बिहार सुधर रहा है और नीतीश जी ने अपना पद छोड़कर जीतनराम मांझी जी को मुख्यमंत्री बना दिया था। प्रशांत किशोर ने कहा कि हमसे जब 2014 में मदद के लिए दिल्ली में मिलने के लिए नीतीश कुमार आए, तो उनको किसी ने बताया था कि नरेंद्र मोदी का अभियान चलाने वाला बिहार का ही कोई लड़का है।

जब नीतीश बाबू हमने मिलने आए, तब मैंने उनसे कहा कि आप बिहार ठीक चला रहे थे, बिहार में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी तो आपने मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाकर अलग क्यों हट गए। तो उन्होंने बताया कि हम चुनाव हार गए, उस वक्त मैंने उनसे वादा किया कि आप फिर मुख्यमंत्री बनिए, बिहार को जैसे बेहतर बना रहे थे बनाइए और चुनाव के नजरिए से जो मदद होगी वो हम करेंगे।

इसलिए उनकी मदद की, चुनाव जिताया भी। सात निश्चय की परिकल्पना भी की, बिहार विकास मिशन भी बनाया। सरकार में हम शामिल नहीं थे, लेकिन स्ट्रेटेजी-सुझाव के तौर पर जो कुछ भी किया जा सकता था वो किया। लेकिन करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार की थी। ऐसे में 2005 से लेकर 2012 तक जो बिहार सुधरता हुआ दिखा,

वही बिहार 2015 से 2023 के दौर में बिगड़ता हुआ दिखा। प्रशांत किशोर ने कहा कि नेता के तौर पर जिस नीतीश कुमार की हमने मदद की थी, वो चुनाव नहीं हारे थे। लोकसभा में उनकी पार्टी को झटका लगा था, 2 एमपी जीते थे, लेकिन विधानसभा में उनके 117 विधायक जीते थे। उनको जनता का बहुमत दिया हुआ था। आज नीतीश कुमार चुनाव हार गए हैं।

243 विधानसभा की सीटों में उनके पास 42 विधायक हैं। उस समय वे चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन राजनीतिक मर्यादा के नाते पद छोड़ दिया था, मांझी जी को सीएम बनाया था। आज वे चुनाव हार गए हैं लेकिन कोई न कोई जुगाड़ लगाकर कभी लालटेन पकड़कर तो कभी कमल पकड़कर कुर्सी से चिपके हुए हैं। हम उस नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं।