मुफ्त के खाद्यान्न का नकद भुगतान से गरीब नेहाल
मुफ्त के खाद्यान्न का नकद भुगतान से गरीब नेहाल
P9bihar news
सत्येन्द्र कुमार शर्मा
सारण :- "एक सत्यता: पहले कानों सुनी अब आंखो देखी" विषय में रविशंकर मिश्रा ने उल्लेख किया है कि आजकल गरीबों को मिलने वाला खाद्यान्न गरीबों के लिए भूख मिटाने के काम में नही आकर नगद रुपए का स्त्रोत बन गया है। देखने में आ रहा है की गरीब जनता बेचारा मोटरसाइकिल से जाकर मुफ्त मिल रहे खाद्यान्न को उठाता है उसी समय नगद बेच कर निहाल हो जाता है।
जहां से खाद्यान्न (अगर चावल) लेता है वहीं वो 15 रुपए किलो के हिसाब से बेच डालता है ।फिर वही चावल जरूरतमंद व्यापारी के हाथो गेहूं के साथ मिल में पीसकर जरूरतमंद जनता में 30 रुपए किलो आटा के रूप में भूख मिटाने के काम में आ जाता है।
इस प्रक्रिया में गरीब जनता,व्यापारी, बाकी भूखी जनता लाभार्थी बन खुश रहते है। हैप्पीनेस इंडेक्स में सुधार की संभावना बलवती हो उठती है। हालांकि इस सबके बाद भी अपना देश हंगर इंडेक्स में पिछड़ जा रहा है तो अब सरकार क्या करे??समस्या तो है रविशंकर मिश्र के फेसबुक वॉल से संवाद लिया गया है।