गांव की दुपहरी में चमकी पर सार्थक संदेश दे रहा नुक्कड़ नाटक
गांव की दुपहरी में चमकी पर सार्थक संदेश दे रहा नुक्कड़ नाटक
- नुक्कड़ नाटक में दिख रही बच्चों की भीड़
प्रमोद कुमार
मुजफ्फरपुर,
महादलित टोला। गांव की दुपहरी। घरों से झांकती महिलाएं और बच्चे। सभी की निगाहें डुगडुगी की तरफ है। बच्चे दौड़कर आ रहे हैं। महिलाएं एक -दूसरे से फुसफुसाती हुए आगे बढ़ रही हैं। आशा की पुकार पर वह तेजी से एकत्र होती हैं। नुक्कड़ की टीम देखकर कहती हैं -खेला है, तभी फिर से जोर की डुगडुगी बजती और चमकी को धमकी नुक्कड़ -नाटक की शुरुआत हो जाती है।
ऐसे दृश्यों का कारवां प्रतिदिन किसी महादलित या चमकी प्रभावित जगहों पर रोज देखा जा रहा है। सेंटर फॉर एडवोकसी एंड रिसर्च, केयर इंडिया तथा जिला प्रशासन मुजफ्फरपुर के इस प्रयास को कला जागरण की टीम प्रतिदिन अपनी अदाकारी और संदेश से लोगों के मन को झकझोर रही है। चमकी पर उनकी समझ को और भी मजबूत कर रही है।नुक्कड़ के दौरान मीनापुर सेंटर वार्ड नंबर 11 के मुसहर टोला में नुक्क्ड़ के समय दर्शकों की अच्छी भीड़ जमा हुई। तभी भीड़ में से एक दर्शक ने स्वास्थ्य केंद्र के प्राइवेट वाहन के बारे में जानकारी मांगी।
जिसे आशा और आंगनबाड़ी के सामने टैग वाहन के बारे में जानकारी दिलाई। इसके अलावा भी कुछ महिलाअेां ने चमकी हो जाने पर फिर से कलाकारों से जानकारी मांगी। जिस पर चिकित्सक का रोल कर रहे कलाकार ने उन सभी महिलाओं को फिर से चमकी होने पर करने योग्य बातें बतायीं ।
..और मदारी की जानकारी से बची रमुआ की जान
गांव घर की कथा कहते हैं आपसे... गायन की शुरूआत के साथ नाटक एक मदारी को सामने पेश करता है। जिसके बच्चे की मौत चमकी से होती है। उस समय उसे चमकी के बारे में कुछ पता नहीं था। तब से वह ठानता है कि जहां कहीं भी चमकी पर उसके जानकारी की जरूरत होगी वह वहां जाएगा। संयोगवश गांव का एक बच्चा रमुआ चमकी से पीड़ित हो जाता है।
कोई उसे झाड़ -फूंक तो कोई उसे वैद्य के पास ले जाने की सलाह देता है। तभी मदारी आकर उन्हें समय पर अस्पताल ले जाने की सलाह देता है जिससे रमुआ की जान बच जाती है। वहीं चिकित्सक लोगों को चमकी पर क्या करें और क्या न करें की विस्तृत जानकारी देता है। नुक्कड़ -नाटक में अरविंद कुमार, प्रिंस आनंद, आदर्श रंजन, सिम्मी, नेहा, सुशांत, चंदन और गंगा की अदाकारी भी लोगों के द्वारा काफी सराही जा रही है।