सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर जीविका दीदियों का उन्मूखीकरण

सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर जीविका दीदियों का उन्मूखीकरण

सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर जीविका दीदियों का उन्मूखीकरण

P9bihar news 

सत्येेन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- सुरक्षित गर्भ समापन को लेकर जीविका दीदियों का उन्मुखीकरण किया गया।अब 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान गर्भ समापन किसी भी समय मान्य हैं।

 जिले के गरखा प्रखंड के जीविका  कार्यालय में जीविका दीदी की बैठक कर सांझा प्रयास नेटवर्क एवं  आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के माध्यम से चलाए जा रहे  सुरक्षित गर्भ समापन पर अभिरंजन  ने जानकारी दी। बतया कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी।

अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने को प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में मे एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को मृत्यु दर में कमी नहीं हो रही थी।

उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया,लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्टमें संशोधन किया गया। जिससे 20 सप्ताह से ,अब 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।

भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य:

उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है।किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है।

महिलाओं को जागरूक करना ज़रूरी:

अभिरंजन ने बताया कि सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध है। इस बात की जानकारी आज भी  ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिसके कारण वो गांव- देहात के नीम- हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपने प्राण तक गंवा रही हैं।

सुरक्षित गर्भपात के बारे में ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को जागरूक करना ज़रूरी है।  बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिये। यहाँ प्रशिक्षित डॉक्टर एवं नर्स उपलब्ध हैं फिर भी महिलाएं नीम- हकीम और झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं।