चलते शरीर चलते मन विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन शारीरिक भाषा और नृविज्ञान पर केंद्रित विचार-विमर्श

चलते शरीर चलते मन विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन शारीरिक भाषा और नृविज्ञान पर केंद्रित विचार-विमर्श

चलते शरीर चलते मन विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन शारीरिक भाषा और नृविज्ञान पर केंद्रित विचार-विमर्श

P9bihar news 

प्रमोद कुमार शर्मा 
मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के बृहस्पति सभागार में चल रहे तीन दिवसीय व्याख्यान और कार्यशाला कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत आज उत्साहपूर्ण वातावरण में हुई। कार्यक्रम प्रधान संरक्षक कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव और संरक्षक प्रो. प्रसून दत्त के मार्गदर्शन और डॉ. स्वेता के संयोजन में आयोजित हुई।

'चलते शरीर, चलते मन, नृविज्ञान को सजीव करने का अभ्यास' विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में प्रो. कोएलट्ज ग्रिट की उपस्थिति रही। मंच पर डॉ. मनीषा रानी और प्रो. ग्रिट के साथ-साथ डॉ. उपमेष कुमार भी मौजूद थे।प्रो. ग्रिट का स्वागत मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र ने पुष्पगुच्छ भेंट कर की।

डॉ. मिश्र ने कहा कि यह कार्यशाला हमारे शिक्षण और अनुसंधान की पद्धतियों में एक नई दिशा देने वाली है। प्रो. ग्रिट जिस तरह से शारीरिकता और नृविज्ञान के बीच के गहरे संबंध को प्रस्तुत करेंगी, वह न केवल शोधार्थियों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

इस कार्यशाला से हमें यह सीखने को मिलेगा कि कैसे शारीरिक अनुभवों के माध्यम से समाज और संस्कृति को समझा जा सकता है।कार्यक्रम की शुरुआत में प्रो. ग्रिट ने कुछ नृत्य और व्यायाम मुद्राओं की प्रस्तुति की। उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में कार्यशाला के महत्व, उद्देश्य और 'शरीर को एक स्थान के रूप में' कैसे देखा जा सकता है, इस पर जोर दिया।