जिले के विभिन्न प्रखंडों में कालाजार के मरीजों की खोज अभियान जारी
जिले के विभिन्न प्रखंडों में कालाजार के मरीजों की खोज अभियान जारी
मरीज मिलने के बाद उनसका कराया जाएगा इलाज
P9bihar news
रिपोर्टर अतुल कुमार
बेतिया।
जिले के विभिन्न प्रखंडों को कालाजार से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग 22 जुलाई से 05 अगस्त 2022 तक कालाजार रोगी खोज अभियान चला रही है। जिला वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार, वीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा एवम अरूण कुमार की देख रेख में आशा फैसिलेटेटर व आशा द्वारा खोज किया जा रहा है। इसमें मझौलिया, बैरिया, एवम चनपटिया प्रखण्ड में कालाजार मरीजों की खोज चल रही है।
खोज के दौरान अगर कालाजार के मरीज मिलते हैं तो उनका इलाज कराया जाएगा। वीबीडीएस ने बताया कि खोज के दौरान यदि कोई व्यक्ति 15 या उससे अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित है और मलेरिया की दवा व एंटीबायोटिक लेने के बाद भी बुखार ठीक नहीं हुआ हो, तो उसे चिह्नित किया जा रहा है। पेट बड़ा हो गया हो या फिर भूख नहीं लगने के लक्षण हों तो ऐसे व्यक्ति को आशा कार्यकर्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) ले जाकर जांच कराएंगी। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति का पूर्व में इलाज हुआ हो और फिर भी उसमें कालाजार के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे आशा कार्यकर्ता मायागंज अस्पताल जाने के लिए कहेंगी।
यहां बोन मैरो या स्पीलिन एसपीरेशन जांच उस व्यक्ति की होगी। इसके साथ-साथ वैसे व्यक्ति जिसे बुखार न हो, लेकिन उसके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो और उसमें सूनापन न हो, साथ ही वह पहले कालाजार से पीड़ित रहा हो तो वैसे व्यक्तियों की भी पीएचसी में जांच होगी। इन्हें भी आशा कार्यकर्ता पीएचसी लेकर आएंगी।खोज के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने कालाजार के बारे में लोगों के बीच बांटी जानकारियां: कालाजार एक संक्रमण बीमारी है जो परजीवी लिश्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है।
कालाजार परजीवी बालू मक्खी के द्वारा फैलता है। परजीवी का जीवन चक्र मनुष्य और बालू मक्खी के ऊपर निर्भर करता है। यह परजीवी अपने जीवन का ज्यादातर समय मनुष्यों के शरीर में रहकर बिताता है।
- बालू मक्खी कम रौशनी वाली और नम जगहों- जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है।दो हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनीमिया), जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ता, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है।
सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके कुछ लक्षण है। उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है। इसी कारण इसे कालाजार के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है काला बुखार।कालाजार पर नियंत्रण कैसे करें:अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव कराएँ।
अपने आस-पास स्वच्छता रखें।
कालाजार का पूर्ण उपचार कराएँ।