बाल दिवस: फाइलेरिया से बचाव  हेतु स्कूली बच्चों द्वारा रैली दवा सेवन जागरूकता

बाल दिवस: फाइलेरिया से बचाव  हेतु स्कूली बच्चों द्वारा रैली दवा सेवन जागरूकता

बाल दिवस: फाइलेरिया से बचाव  हेतु स्कूली बच्चों द्वारा रैली दवा सेवन जागरूकता

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क सदस्यों के  सहयोग से जागरूकता रैली निकाली गई।स्कूली बच्चों ने एक सुर में कहा- आईडीए दवा खाना है, फाइलेरिया को भगाना है।छपरा जिले में फाइलेरिया से बचाव के लिए आईडीए दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जायेगा। इसमें सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। विभाग के प्रयास को अब समुदाय के आम लोगों का साथ मिल रहा है। गांव स्तर पर फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क सदस्यों के द्वारा जागरूक किया जा रहा है।

इसी कड़ी में सोमवार को जिले के मांझी प्रखंड के कौरू-धौरू उत्क्रमित मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं और शिक्षक-शिक्षकाओं के द्वारा फाइलेरिया से बचाव के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जागरूकता रैली निकाली गयी। जिसमें फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्यों को भी शामिल किया गया।  रैली के माध्यम से स्कूली बच्चों ने फाइलेरिया को मिटाने के लिए दवा सेवन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमजनों से अपील की । स्कूली बच्चों और फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्यों ने स्लोगन के माध्यम से कहा कि एमडीए दवा खाएंगे, फाइलेरिया को दूर भगाएंगे।

इस दौरान नेटवर्क सदस्यों के द्वारा अपने अनुभवों से आमजनों को जागरूक किया गया तथा दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रेरित किया गया। अपील की गयी  कि सभी लोग दवा का सेवन करें ताकि बीमारी से बचाव हो सके और आनेवाली पीढ़ी सुरक्षित रहे ।इस दौरान नेटवर्क सदस्य  विनोद कुमार, अनिल कुमार भगत, रवि कुमार, मंजू देवी, आशा रंजू देवी, आशा दुर्गा सहनी, प्रिंसिपल जयप्रकाश साह, सहायक शिक्षक अजित कुमार सिंह, प्रियंका कुमारी, ज्योति, लक्ष्मी, अन्नया ओझा, निर्मला कुमारी सुनैना देवी व अन्य ने रैली को सफल बनाया। 

आहार और सफाई का रखें ख्याल:
स्कूल के प्रिंसिपल जयप्रकाश साह ने बताया कि बच्चों के द्वारा रैली के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया है। इस दौरान इस बात की जानकारी दी गयी कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है।

दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। एक तरफ जहां मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार दवा का सेवन कराना आवश्यक है।

मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी पड़ता है बुरा प्रभाव:

प्रभारी डीएमओ डॉ. चंदेश्वर सिंह ने बताया कि  आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। लेकिन पसीना, सिर दर्द, हड्डी व जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, उल्टी आदि के साथ बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता ।